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Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. सूबे में सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने के लिए दोनों ही प्रमुख दल- बीजेपी और कांग्रेस पूरा जोर लगा रहे हैं. एक-एक सीट पर तमाम समीकरणों को ध्यान में रखकर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया जा रहा है. सूबे के सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने वरिष्ठ नेता बंशमणि प्रसाद वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने सिंगरौली जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने सिंगरौली सीट से रेनू शाह और चितरंगी सीट से मानिक सिंह को टिकट दिया है. देवसर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने बंशमणि त्रिपाठी को ही मौका दिया है. पार्टी की ओर से जारी की गई प्रत्याशियों की दूसरी सूची में उनका नाम था.

आठ बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं बंशमणि

आठवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे बंशमणि वर्मा पहले से ही अपना टिकट तय मान रहे थे, यही वजह है कि उन्होंने जनसंपर्क का सिलसिला पहले ही शुरू कर दिया था. 74 साल के बंशमणि प्रसाद वर्मा ने पहली बार 1977 में चुनावी ताल ठोकी थी. वो तीन बार विधायक रह चुके हैं. 1980 और 1993 में कांग्रेस और फिर 2003 में वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे. सूबे में जब कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई तो बंशमणि को मंत्री बनाया गया. 2013 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय और फिर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा. दोनों ही बार उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2013 में राजेंद्र मेश्राम और 2018 में सुभाष वर्मा ने उन्हें हराया.

बीजेपी ने इसबार फिर से सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट से राजेंद्र मेश्राम को मौका दिया है. यानी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बंशमणि वर्मा का मुकाबला फिर एक बार राजेंद्र मेश्राम से होगा, जिनके हाथों वो 2013 में मात खा चुके हैं. हालांकि इस बार क्या 2013 का इतिहास देवसर में दोहराया जाएगा या बंशमणि नई कहानी लिखेंगे, ये 3 दिसंबर को मतों की पेटी खुलने के बाद ही साफ हो सकेगा. देवसर समेत मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर 17 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के लिए एक चरण में वोटिंग की जाएगी.

विधानसभा के नतीजों का लोकसभा पर पड़ेगा असर

मुख्य मुकाबला तो कांग्रेस बनाम भारतीय जनता पार्टी के बीच ही माना जा रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी समेत कई अन्य दल भी चुनावी दंगल के लिए कमर कस रहे हैं. आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की एंट्री ने इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के रण को रोचक बना दिया है. सूबे में पिछले दो दशकों के दौरान बीजेपी की ही सरकार रही है. बीच में 2018 में कांग्रेस ने सरकार जरूर बना ली थी, लेकिन वो ज्यादा समय तक टिक नहीं सकी. वहीं आम आदमी पार्टी के निकाय चुनाव में किए प्रदर्शन से भी लोग हैरान रह गए थे. ऐसे में कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और माना जा रहा है कि देश के दिल के चुनावी नतीजे का लोकसभा चुनाव में दांव आजमाने वाली पार्टियों की ऊर्जा पर सीधा असर डालेंगे.

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