Mohan Bhagwat in Vidya Bharati’s program said They do not agree with our views they will have to be taken along ANN
Mohan Bhagwat: विद्या भारती की ओर से आयोजित पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग 2025 की मंगलवार (04 मार्च, 2025) को शुरुआत हुई. इस मौके पर संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने कार्यक्रम के उद्घाटन में कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करती, बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. विश्व भारत की ओर देख रहा है उसे मानवता की दिशा देनी होगी.
उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखना होगा. मानवता को सही दिशा देने के लिए आवश्यक है कि हम अपने कार्य को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाना है. परिवर्तन आवश्यक है, क्योंकि संसार स्वयं परिवर्तनशील है, लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि परिवर्तन की दिशा क्या होनी चाहिए.
‘विद्या भारती विचारों के अनुरूप शिक्षा का केंद्र’
डॉ. भागवत ने कहा कि विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप शिक्षा कार्य कर रही है. यह शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करती है. उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा का कार्य व्यापक है, जो केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना भी है.
उन्होंने कहा कि समय के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन इसमें निष्क्रिय होकर बैठना उचित नहीं होगा. मानव अपने मस्तिष्क के बल पर समाज में परिवर्तन लाता है और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह परिवर्तन सकारात्मक हो.
टेक्नोलॉजी की मानवीय नीति जरूरी
आज के समय में तकनीक समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल रही है. हमें टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी. उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो कुछ गलत है.
उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि हमें विविधता में एकता बनाए रखनी होगी. भारत की संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है. सब में मैं हूं, मुझ में सब हैं डॉ. भागवत ने भारतीय दर्शन के इस मूल विचार को रेखांकित किया कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दृष्टिकोण से हमें अपने कार्यों को संचालित करना चाहिए.
विश्व भारत की ओर देख रहा है
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आज विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है. भारत ने सदैव सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने मूल्यों को बनाए रखा है और यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है. अगर समाज में परिवर्तन लाना है, तो सबसे पहले व्यक्ति में परिवर्तन लाना होगा. उन्होंने विद्या भारती की इस दिशा में भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी, जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक हो.
उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास केवल एक वर्ग या समूह के कल्याण तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि हमें संपूर्ण समाज के कल्याण का लक्ष्य रखना होगा. उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति और संसाधन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समस्त समाज की उन्नति के लिए समर्पित होने चाहिए. हमारे समाज में कई विचारधाराएं हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी का भी मत भिन्न हो सकता है, लेकिन कार्य की दिशा सही होनी चाहिए.
डॉ. भागवत ने कहा कि विमर्श का स्वरूप बदलना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है. हमें सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना चाहिए.
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