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Mobile Internet Services Restored In Manipur After More Than Four Months – मणिपुर में चार महीने से अधिक समय बाद मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल



मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मुक्त आवाजाही व्यवस्था को रद्द करने का भी आह्वान किया, जिसके तहत भारत-म्यांमा सीमा के पास दोनों ओर रह रहे लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक भीतर जाने की अनुमति है. सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सरकार ने फर्जी समाचार, दुष्प्रचार और नफरत फैलाने वाली सामग्री का प्रसार रोकने के लिए तीन मई को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी थीं, लेकिन स्थिति में सुधार होने के कारण मोबाइल इंटरनेट सेवाएं आज से राज्यभर में बहाल की जाएंगी.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ‘‘अवैध प्रवासियों” के आने की समस्या से निपटना जारी रखेगी। उन्होंने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने की आवश्यकता पर बल दिया. सिंह ने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में 60 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने के लिए कदम उठाए हैं.”

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मौजूदा स्थिति किसी हालिया फैसले के कारण नहीं, बल्कि पूर्ववर्ती सरकारों की अनियोजित नीतियों का परिणाम है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने का अनुरोध किया है.”

मुख्यमंत्री ने बंद की संस्कृति और ‘‘विधायकों, मंत्रियों तथा पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपशब्द कहे जाने की व्यापक पैमाने पर होने वाली घटनाओं” की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इसने ‘‘लोगों को वास्तविक मुद्दों से भटका दिया है और आपस में टकराव पैदा किया है.” उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो महीने में स्थिति में सुधार हुआ है और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तैनाती होने के कारण गोलीबारी की घटनाओं में कमी आई है.”

एन. बीरेन सिंह ने दावा किया कि देशव्यापी सर्वेक्षण में पाया गया है कि राज्य के युवाओं द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन किए जाने में वृद्धि हुई है और इसीलिए उनकी सरकार ने 2018 में ‘‘मादक पदार्थों के खिलाफ युद्ध” शुरू किया था. उन्होंने कहा, ‘‘यह जारी रहेगा… पहाड़ों में अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए इसे और मजबूती से चलाया जाएगा.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि बदमाशों द्वारा स्वयं को पुलिसकर्मी बताकर जबरन वसूली, अपहरण एवं अन्य अपराध किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं. सिंह ने कहा, ‘‘हमें अवैध प्रवासियों के आने की समस्या से निपटने, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए कल्याणकारी गतिविधियां चलाने और अफीम की बड़े पैमाने पर खेती की समस्या का समाधान निकालने जैसे राज्य के अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते रहना होगा.” उन्होंने कहा, ‘‘चुराचांदपुर, कांगपोकपी, मोरेह और इंफाल में कानून का शासन स्थापित करने के उद्देश्य से हमारी सरकार कई पहल कर रही है.”

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों अन्य लोग घायल हुए हैं. मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.



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