Mizoram Assembly Election 2023 Criminal Cases Against Mizoram Poll Candidates For All Parties Congress Bjp Mnf Zpm
Mizoram Election 2023 News: मिजोरम में मतदान जारी है. इस बीच असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की एक रिपोर्ट सबका ध्यान खींच रही है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मिजोरम में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 174 उम्मीदवारों में से केवल सात या चार प्रतिशत ने अनिवार्य हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है.
इन सातों को “गंभीर” आपराधिक मामलों में नामित किया गया है. 2018 विधानसभा चुनाव में 20 उम्मीदवार ऐसे थे, जिनमें से नौ पर आपराधिक मामले थे. इन 9 में से 4 के खिलाफ “गंभीर” आपराधिक मामले दर्ज थे. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले अधिकांश उम्मीदवारों को गैर-मान्यता प्राप्त दलों या स्थानीय व क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों की ओर से मैदान में उतारा गया है. इन्होंने राज्य भर में 40 उम्मीदवार खड़े किए हैं और इनमें से चार ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले (सभी गंभीर) स्वीकार किए हैं.
राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों से सिर्फ 2 ने दी जानकारी
राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों ने 67 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. इनमें से दो ने गंभीर आपराधिक मामला घोषित किया है, जबकि राज्य स्तरीय पार्टियों ने 40 उम्मीदवार खड़े किए हैं और केवल एक ने गंभीर आपराधिक मामले की जानकारी दी है.
ZPM के 10 प्रतिशत उम्मीदवारों पर गंभीर मामले
इस चुनाव में 27 निर्दलीय उम्मीदवार हैं और किसी ने भी अपने खिलाफ गंभीर या अन्य आपराधिक मामलों के बारे में नहीं बताया है. आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले सबसे अधिक उम्मीदवारों वाली पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट है, जिसके 40 उम्मीदवारों में से चार या 10 प्रतिशत प्रत्याशी पर गंभीर मामले दर्ज हैं.
भाजपा से 2 तो कांग्रेस से एक भी उम्मीदवार दागी नहीं
भाजपा की बात करें तो उसने 23 उम्मीदवार उतारे हैं और उसके दो उम्मीदवारों पर मामले दर्ज हैं. इसके बाद सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट का नंबर आता है, जिसके 40 में से एक उम्मीदवार पर मामला दर्ज है. वहीं, कांग्रेस के 40 उम्मीदवारों में से किसी ने भी अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित नहीं किए हैं.
“गंभीर” आपराधिक मामले क्या हैं?
एडीआर रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके मानदंडों में ऐसे अपराध शामिल हैं जिनके लिए अधिकतम संभावित सजा पांच साल या उससे अधिक है. इसमें हत्या, अपहरण या बलात्कार से संबंधित अपराध, महिलाओं के खिलाफ अपराध. गैर-जमानती अपराध, चुनावी अपराध और भ्रष्टाचार से संबंधित अपराध भी शामिल हैं.
चुनाव आयोग की ओर से अनिवार्य है ये जानकारी
बता दें कि मार्च 2020 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी राजनीतिक दलों (केंद्र और राज्य) के लिए लंबित आपराधिक मामलों वाले किसी भी उम्मीदवार के बारे में जनता के साथ विस्तृत जानकारी साझा करना अनिवार्य कर दिया था. इसके अलावा पार्टियों के लिए यह भी बताना अनिवार्य किया गया था कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को क्यों चुना और अन्य को क्यों नहीं चुना. इसकी जानकारी एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के साथ-साथ संबंधित पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित करना जरूरी कहा गया था.
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