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minister nitesh rane question the block divisional officer on madhi yatra muslim traders banned in ahilyanagar | Ahilyanagar: Madhi Yatra में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध का मामला, मंत्री नितेश राणे ने BDP को सुनाई खरी


Maharashtra Latest News: महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नितेश राणे ने रविवार (2 मार्च) को अहिल्यानगर के खंड विकास अधिकारी (BDO) के फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने मढ़ी गांव में वार्षिक मढ़ी ची यात्रा के दौरान मुस्लिम व्यापारियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी.

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अहिल्यानगर दौरे के दौरान नितेश राणे ने कहा, “BDO को याद रखना चाहिए कि महाराष्ट्र में हिंदुत्व सरकार सत्ता में है. भले ही उन्होंने ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर रोक लगा दी हो, लेकिन मैं गांववालों से अपील करता हूं कि वे फिर से प्रस्ताव पारित करें. अगर सभी ग्रामीण इसके समर्थन में हस्ताक्षर कर दें, तो BDO इसे कैसे खारिज कर सकते हैं?”

ग्राम पंचायत का विवादित प्रस्ताव
22 फरवरी को पाथर्डी तालुका के मढ़ी गांव की ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित कर मुस्लिम व्यापारियों को 28 फरवरी से शुरू होने वाली मढ़ी ची यात्रा के दौरान दुकानें लगाने से प्रतिबंधित कर दिया था. इस फैसले पर विवाद खड़ा हो गया, जिसके बाद प्रशासन ने दखल दी.

मत्स्यपालन और बंदरगाह विभाग के मंत्री नितेश राणे ने इस फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए कहा, “गांव में कट्टर हिंदुत्व समर्थक जाग चुके हैं. ग्राम सभा का फैसला देश को नई दिशा देगा. अगर हिंदू धर्म को चुनौती दी गई, तो पूरे महाराष्ट्र में ऐसे फैसले लिए जाएंगे.”

राधाकृष्ण विखे पाटिल ने क्या कहा था?
इससे पहले, जिला संरक्षक मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी ग्राम सभा के फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था, “ग्राम सभा को इस तरह के प्रस्ताव पारित करने का संवैधानिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने भी ग्राम सभाओं के अधिकारों को मान्यता दी है.” 

प्रस्ताव पारित होने के बाद, अहिल्यानगर जिला परिषद के सीईओ आशीष येरेकर ने BDO शिवाजी कांबले को इसकी वैधता की जांच करने का आदेश दिया. जांच के बाद BDO ने इसे ‘असंवैधानिक’ घोषित कर दिया. 

बीडीओ शिवाजी कांबले ने कहा, “हमारी जांच में पाया गया कि ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करने के लिए आवश्यक कोरम पूरा नहीं था. प्रस्ताव पर 116 हस्ताक्षर थे, जिनमें से 16 की पुष्टि नहीं हो सकी. इसके अलावा, अन्य प्रशासनिक खामियां भी थीं, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया गया है.”

इस विवाद से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है. जहां एक ओर BJP नेता हिंदुत्व की दलील दे रहे हैं, वहीं प्रशासन संविधान और कानून का हवाला देकर इस फैसले को अमान्य बता रहा है. अब देखना होगा कि गांव वाले और सरकार इस मुद्दे को आगे कैसे सुलझाते हैं.

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