Minister Dr Sanjay Nishad says Opposition has no moral right to celebrate Ambedkar Jayanti ann
Ambedkar Jayanti 2025: भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती पर आज लखनऊ के हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने माल्यार्पण किया और बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला.
डॉ. निषाद ने कहा कि आज कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसी पार्टियाँ बाबा साहब की जयंती मना रही हैं, लेकिन इन्हें नैतिक रूप से इसका कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि इन दलों ने अपने-अपने शासनकाल में न केवल संविधान का गला घोंटा बल्कि बाबा साहब की सोच के विपरीत कार्य भी किए. उन्होंने कहा कि ये पार्टियाँ अब सत्ता में वापसी की लालसा में दिखावा कर रही हैं और बाबा साहब की विरासत का नाम लेकर लोगों की आंखों में धूल झोंक रही हैं.
पिछली सरकारों पर लगाया आरोप
उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी ने हमेशा बाबा साहब के संविधान को आधार मानकर कार्य किया है और समाज के सबसे पिछड़े वर्ग, विशेषकर मछुआ समुदाय को न्याय दिलाने की दिशा में लगातार संघर्ष किया है. मत्स्य मंत्री ने बताया कि सन् 1961 के “सेंसस मैन्युअल फॉर उत्तर प्रदेश” में मछुआ समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त था, जिसे पूर्ववर्ती सरकारों ने सत्ता में रहते हुए छीन लिया.
डॉ. निषाद ने पूछा कि जब मछुआ समाज को 1950 के अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत संवैधानिक संरक्षण प्राप्त था, तो बिना सूचना या संसद में बहस के किस अधिकार से इन समुदायों को SC सूची से बाहर कर दिया गया? उन्होंने बताया कि 2016 में महामहिम राज्यपाल द्वारा पुनः मछुआ समाज को SC सूची में शामिल करने संबंधी गजट अधिसूचना जारी की गई, लेकिन आज भी समाज को उनका हक नहीं मिल पा रहा है.
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एक मंच पर आने की अपील
उन्होंने सभी विपक्षी दलों से सवाल किया कि उन्होंने मछुआ समाज के साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ कभी आवाज क्यों नहीं उठाई. यदि ये दल सच में बाबा साहब के अनुयायी हैं तो उन्हें एक मंच पर आकर मछुआ समाज को न्याय दिलाने के लिए संविधान की रक्षा करनी चाहिए.
अंत में उन्होंने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि ऐसे धोखेबाज दलों से सतर्क रहने की जरूरत है जो केवल सत्ता की लालसा में सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन जब सत्ता में होते हैं तब संविधान और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करते हैं.