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MEA Spokesperson Arindam Bagchi On Myanmar Rebels Seeking To Control Border With India


म्यांमार के चिन राज्य में दो सैन्य अड्डों पर विद्रोही समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) के हमले के बाद भारत से लगी सीमा पर विद्रोहियों की ओर से नियंत्रण किए जाने संबंधी अटकलों पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है. 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार (16 नवंबर) को कहा, ”अपनी सीमा के पास ऐसी घटनाओं को लेकर हमारा ध्यान है. म्यांमार में मौजूदा स्थिति पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है. हम चाहते हैं कि हिंसा खत्म हो और स्थिति बहाल हो या रचनात्मक संवाद के जरिए स्थिति का समाधान निकले.”

भारत ने किया म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी का आह्वान

प्रवक्ता ने कहा, ”हम म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी के लिए अपना आह्वान दोहराते हैं… मुझे लगता है कि 2021 से म्यांमार के नागरिक बड़ी संख्या में भारत में शरण ले रहे हैं. संबंधित पड़ोसी राज्यों में स्थानीय अधिकारी मानवीय आधार पर स्थिति को उचित रूप से संभाल रहे हैं.”

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इससे पहले बुधवार (15 नवंबर) को एक पुलिस अधिकारी ने बताया था कि भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति अब शांत है क्योंकि म्यांमार सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के बीच अब कोई झड़प नहीं हुई है. उन्होंने कहा था, ”फिलहाल स्थिति अब शांत है और हमें उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिनों में भारत-म्यांमार सीमा पर स्थिति सामान्य हो जाएगी. आगे क्या होगा इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है.”

म्यांमार के लगभग 5000 लोगों ने मिजोरम में ली है शरण

अधिकारियों ने कहा था कि म्यांमार की सेना और पीडीएफ के बीच गोलीबारी के बाद म्यांमार के चिन राज्य के खवीमावी, रिहखावदार और पड़ोसी गांवों के लगभग 5,000 लोग भाग गए और मिजोरम के जोखावथर में शरण ले ली है.

चम्फाई के उपायुक्त जेम्स लालरिंचन ने कहा कि पीडीएफ की ओर से भारतीय सीमा के करीब चिन राज्य में ख्वामावी और रिहखावदार में दो सैन्य शिविरों पर हमला करने के बाद रविवार (12 नवंबर) शाम को गोलीबारी शुरू हुई और सोमवार शाम तक जारी रही.

मिजोरम, म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. पूर्वोत्तर राज्य ने म्यांमार के 31,000 से ज्यादा शरणार्थियों को शरण दी है, जो हालिया झड़पों से पहले फरवरी 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद वहां से भाग गए थे. मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिक चिन समुदाय के हैं. चिन और मिजो एक ही जातीय समूह ‘जो’ से संबंधित हैं.

(भाषा इनपुट के साथ)

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