Maulana Mahmood Madani Slams Central Government over waqf amendment bill Ask Nitish Kumar Chirag Paswan ANN
Waqf Amendment Bill: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने केंद्र और तमाम राज्य सरकारों को चेतावनी दी कि वह सांप्रदायिक तत्वों और उनके एजेंडे को संरक्षण देना बंद करें. मदनी ने कहा कि सड़कें बनाई जाएं और देश के विकास की पहल की जाए, लेकिन अगर इंसानों के बीच जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव जारी रहा तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा. मदनी ने तो नीतीश कुमार और चिराग पासवान से भी बिल का विरोध करने की मांग की है और अगर वे ऐसा करते हैं तो मोदी सरकार खतरे में आ जाएगी.
मौलाना मदनी ने आगे कहा कि इस देश की वर्तमान स्थिति अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक हैं. दुख के साथ कहना पड़ता है कि एक विशेष वर्ग का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को अपमानित करने, हाशिए पर धकेलने और वंचित बनाने के विधिवत और संगठित प्रयास किए जा रहे हैं. इस घृणित अभियान को न केवल सरकार का संक्षरण प्राप्त है बल्कि सरकार ही करवा रही है. विशेषकर जब मुसलमानों की बात आती है तो उन्हें कानूनी रूप से असहाय, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से कमजोर बनाने की साजिशें चरम पर हैं. उनके धर्म, उनकी पहचान और अस्तित्व को अनावश्यक, यहां तक कि असहनीय बना दिया गया है.
‘SGPC की तरह हो वक्फ का रखरखाव’
वक्फ एक्ट का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि वक्फ एक धार्मिक मामला है, मुसलमान आखिरत के सवाब (मृत्यु के बाद के पुण्य) के लिए अपनी संपत्तियों को वक्फ करते हैं. याद रखिए कि यह वक्फ किसी बादशाह या किसी सरकार का स्वामित्व नहीं हैं, यह सौ प्रतिशत मुसलमानों की ओर से वक्फ की गई संपत्तियां हैं. यह वक्फ हमारे पूर्वजों की विरासत है, आज हम इसे इस तरह बर्बाद होते नहीं देख सकते. हम दशकों से इसके खुर्द-बुर्द होने और इस पर अवैध कब्जे की शिकायत करते रहे हैं, जमीएत उलेमा-ए-हिंद ने बार-बार सरकारों से मांग की है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और रख-रखाव एसजीपीसी की तरह किया जाए, लेकिन सरकारों ने रत्ती भर भी ध्यान नहीं दिया और वक्फ की बदहाली का तमाशा देखती रहीं.
‘आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे’
मदनी ने कहा कि वर्तमान सरकार वक्फ अधिनियम में इस तरह से संशोधन कर रही है कि वक्फ के उद्देश्य और उसके लक्ष्य को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए. हम कोई ऐसा संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे, जिसका उद्देश्य वक्फ पर सरकारी नियंत्रण को बढ़ाना हो. हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सरकारें हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करें, अन्यथा हम आपसे संविधान के दायरे में रहकर लड़ेंगे और आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे.
नीतीश कुमार और चिराग पासवान से किया विधेयक का विरोध करने का आग्रह
सभा में वक्फ संपत्तियों, मस्जिदों, इस्लामी मदरसों और पैगंबर साहब के सम्मान की सुरक्षा को लेकर अहम प्रस्ताव भी पारित किए गए. एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव में वक्फ संशोधन बिल को मुसलमानों के लिए घातक बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया गया. प्रस्ताव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों से मांग की गई कि वह मुसलमानों के हितों को देखते हुए विधेयक का पुरजोर विरोध करें.
‘संविधान पीठ का गठन करने की अपील’
सभा में मस्जिदों के विरुद्ध चल रहे सांप्रदायिक अभियान पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और पूजा स्थलों के विशेष संरक्षण अधिनियम, 1991 के तहत सभी मामलों को समेकित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक संविधान पीठ का गठन करने की अपील की गई. सभा में भाग लेने वालों ने अदालत से अपील की कि अनुच्छेद 142 और 139ए के तहत इस मामले पर जल्द से जल्द निर्णय दिया जाए ताकि मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
यह भी पढ़ें- बांग्लादेश ने उठाया ऐसा कदम, मुसीबत में आ जाएंगे पूर्वोत्तर भारत के सारे राज्य! यूनुस सरकार ने रद्द किया ये समझौता