Maulana Arshad Madani on Waqf Amendment Bill Muslims do not accept this bill if passed then agitation in whole country ann
Arshad Madni On Waqf Bill: वक्फ संशोधन बिल की आलोचना करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा हमारा धार्मिक कर्तव्य है और जंतर मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मुसलमानों ने सरकार को यह संदेश दे दिया है कि वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों को स्वीकार नहीं है. साथ ही मौलाना मदनी ने कहा कि अगर बिल वापस नहीं लिया गया तो इसके खिलाफ पूरे देश में लोकतांत्रिक और संगठित आंदोलन चलाया जाएगा.
‘अपनी मर्जी थोपना चाहती है सरकार’
मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ‘वक्फ संशोधन बिल को लेकर तमाम मुस्लिम संगठनों ने सरकार को अपने रुख और देश के करोड़ों मुसलमानों की भावनाओं से अवगत कराने का प्रयास किया लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को नजरअंदाज कर अपनी मर्जी थोपना चाहती है’. अरशद मदनी ने 17 मार्च के विरोध प्रदर्शन को सरकार को एक स्पष्ट संदेश देने का प्रयास बताया और कहा कि यदि सरकार अपने अड़ियल रुख पर कायम रहती है तो इसका सीधा अर्थ होगा कि उसे मुसलमानों की भावनाओं की कोई परवाह नहीं है.
‘वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है सरकार’
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा, ‘इस बिल के पीछे सरकार की मंशा अब छुपी नहीं रही है. सच्चाई यह है कि इस बिल का उद्देश्य वक्फ की सुरक्षा और पारदर्शिता लाना नहीं है बल्कि इसके जरिए सरकार हमारी वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है. यही वजह है कि संयुक्त पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों की सिफारिशों और सुझावों को सिरे से खारिज कर दिया गया है’.
‘बिल पास हो गया तो धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को इतिहास माफ नहीं करेगा’
मौलाना मदनी ने केंद्र सरकार के सहयोगी दलों यानी TDP, JDU और LJP के बारे में कहा है कि सरकार में शामिल खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों को जिनकी जीत में मुसलमानों का भी योगदान है उनको आगाह किया जाता है कि वे इस असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बिल को संसद में पास न होने दें. अन्यथा, इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि आज देश जिस विनाशकारी मार्ग पर चल पड़ा है उसके लिए वे पार्टियां भी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने सत्ता के लालच में मौजूदा सरकार को समर्थन दिया है. इन पार्टियों के लिए देश का धर्मनिरपेक्ष संविधान और मुसलमानों के अधिकारों से ज्यादा उनका राजनीतिक स्वार्थ महत्वपूर्ण है. ऐसी पार्टियां देश की तबाही और बर्बादी में प्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रही हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि देश इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है. शांति, एकता, राष्ट्रीय सौहार्द्र और भाईचारे का माहौल नष्ट किया जा रहा है. संविधान और कानून को पैरों तले रौंदा जा रहा है. एक विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. ऐसा जताने की कोशिश की जा रही है कि देश संविधान और कानून के रास्ते पर नहीं, बल्कि बहुमत की मर्जी से चलेगा.
ये भी पढ़ें: