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Marital Rape Case SG Tushar Mehta says in Supreme Court to hear other listed cases first CJI DY Chandrachud


Marital Rape Case: केंद्र ने मंगलवार (25 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस विवादास्पद कानूनी प्रश्न पर इस सप्ताह याचिकाओं की सुनवाई न करे कि क्या वैसे पति को बलात्कार के अपराध के अभियोजन से छूट मिलनी चाहिए, जो अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है.

इस आशय का अनुरोध सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिन की कार्यवाही के अंत में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया. पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे. मेहता ने कहा कि अदालत के समक्ष पहले से ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध संबंधित याचिकाएं इस सप्ताह नहीं ली जानी चाहिए और इन्हें अगले सप्ताह सूचीबद्ध की जाए.

एसजी मेहता की दलील पर क्या बोले सीजेआई चंद्रचूड़?

पीठ ने कहा कि वह पहले से ही दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई सहित विभिन्न मामलों पर विचार कर रही है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ”हम मामलों की क्रमिक (नियमित क्रम में एक के बाद एक) सुनवाई करेंगे.” उन्होंने कहा कि जेट एयरवेज से संबंधित एक मामला वैवाहिक बलात्कार मामले से पहले सूचीबद्ध है.  

इस मामले में वादियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं- इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी- ने हाल ही में मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (23 सितंबर) को नंदी से कहा था कि वैवाहिक बलात्कार से संबंधित जटिल कानूनी प्रश्न की याचिकाओं पर विचार किया जाएगा.  

इंदिरा जयसिंह ने भी 18 सितंबर को इसी तरह का अनुरोध किया था. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद खंड के तहत एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन कृत्य, बलात्कार नहीं है, बशर्ते पत्नी नाबालिग न हो. आईपीसी को अब निरस्त किया जा चुका है तथा उसे भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) से प्रतिस्थापित किया गया है.

BNS की धारा 63 में भी पत्नी से जबरन संबंध बनाना अपराध नहीं

बीएनएस की धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद-दो में भी कहा गया है कि ‘‘किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन कृत्य बलात्कार नहीं है, बशर्ते पत्नी की उम्र अठारह वर्ष से कम न हो’’. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी के उस प्रावधान पर आपत्ति जताने वाली कई याचिकाओं पर 16 जनवरी, 2023 को केंद्र से जवाब मांगा, जिसके तहत पत्नी के वयस्क होने की स्थिति में पति को जबरन यौन संबंध बनाने के लिए अभियोजन से संरक्षण प्रदान किया गया है.

इसने इस मुद्दे पर बीएनएस के प्रावधान को चुनौती देने वाली ऐसी ही याचिका पर भी 17 मई को केंद्र को नोटिस जारी किया. पीठ ने कहा, ”हमें वैवाहिक बलात्कार से संबंधित मामलों को सुलझाना है.” केंद्र ने पहले कहा था कि इस मुद्दे के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ हैं और सरकार याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करना चाहेगी.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने इसे अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया था

इनमें से एक याचिका इस मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट के 11 मई, 2022 के खंडित फैसले से संबंधित है. यह अपील एक महिला द्वारा दायर की गई है, जो हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक थी. कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ एक व्यक्ति ने एक और याचिका दायर की है, जिसके तहत अदालत ने अपनी पत्नी के साथ कथित वैवाहिक बलात्कार के मामले में याचिकाकर्ता के विरुद्ध मुकदमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया है.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने पिछले साल 23 मार्च को कहा था कि पति को अपनी पत्नी के साथ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के अपराध से छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के खिलाफ है.

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