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Manipur Violence CM N Biren Singh Says Congress Is Responsible For This


Politics On Manipur Violence: पिछले कई महीनों से देश के पूर्वोंत्तर राज्य मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरने सिंह ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने गुरुवार (24 अगस्त) को राज्य में शांति बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दिए गए मार्गदर्शन पर प्रकाश डाला और कहा कि उन्हें सुनने के बाद राज्य में शांति है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, “हम हर समय उनकी सलाह लेते हैं. संसद में पीएम मोदी और अमित शाह के बयान सुनने के बाद मणिपुर में शांति है. विस्थापित लोगों के पुनर्वास और निपटान के लिए यह नियमित काम है. हम यहां गृह मंत्री की सलाह लेने के लिए हैं.”

सीएम एन बीरेन सिंह ने क्या कहा?

मणिपुर हिंसा पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर वह लद्दाख में हैं तो उन्हें लद्दाख के बारे में बोलना चाहिए. उन्होंने कहा, “लद्दाख में रहते हुए राहुल गांधी ने मणिपुर के बारे में क्या सोचा? अगर आप लद्दाख जा रहे हैं तो लद्दाख के बारे में बोलें. आज मणिपुर में जो हो रहा है वह सब कांग्रेस ने बनाया गया है. इंसानों की जिंदगियों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए.”

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने की अमित शाह से मुलाकात

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एन. बीरेन सिंह ने गुरुवार की शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया. सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने शाह को मणिपुर में हालात सामान्य बनाने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी.

सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान मणिपुर की राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा हुई. शाह के साथ मुलाकात के दौरान सिंह के साथ मणिपुर के कुछ मंत्री भी थे. सिंह ने शाह से मुलाकात करने से पहले कहा, ‘‘ हम गृहमंत्री की सलाह लेने यहां आये हैं.’’ शाह और सिंह के बीच यह मुलाकात 29 अगस्त को हो रहे मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र से पहले हुई है.

बुधवार को मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा था कि राज्य में स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई के इनपुट के साथ) 

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