Manipur: Suspected Insurgents Came In Front Of Armored Vehicle Of Assam Rifles In Moreh, Questions Raised – मणिपुर : मोरेह में असम राइफल्स के बख्तरबंद वाहन के सामने आए संदिग्ध विद्रोही, उठ रहे सवाल
सोशल मीडिया पर शनिवार को सामने आए वीडियो को लेकर सूत्रों ने बताया कि यह 17 जनवरी का था. इसमें एक बख्तरबंद वाहन के अंदर असम राइफल्स के जवानों को उन हथियारबंद लोगों को चेतावनी देते हुए सुना गया, जो उनका रास्ता रोक रहे थे.
एक सैनिक को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “कृपया किनारे हो जाएं. ऐसा नहीं करें. हमारे वाहन पर गोली नहीं चलाएं.”
उसी वक्त करीब 10-15 की संख्या में बैटल ड्रेस पहने लोगों ने बख्तरबंद वाहन को घेर लिया और सैनिकों को आगे न बढ़ने का इशारा किया.
इसके बाद गाड़ी में मौजूद सिपाही ने चिल्लाकर कहा, “आप सभी फायरिंग बंद करो. आप लोगों को नुकसान होगा. एक तरफ हो जाओ. हमारी गाड़ी को जाने दो. आप समझते क्यों नहीं?” “
असम राइफल्स दक्षिण अफ्रीकी मूल के कैस्पिर माइन प्रोटेक्टेड व्हिकल के एक विकसित भारतीय संस्करण का उपयोग करता है.
हथियारबंद लोगों ने दो क्रूड रॉकेट लांचर निकाले, जिनमें से एक का निशाना सामने से सीधे वाहन पर था, जबकि दूसरे का निशाना दाहिनी ओर की ऊंची जमीन से वाहन पर था.
विदेशी मूल की एम सीरीज (एम4, एम16 आदि) असॉल्ट राइफल से लैस एक अन्य व्यक्ति हाथ में आईईडी लेकर आया और सामने वाहन के दाहिने टायर के पास खड़ा हो गया. उसने इशारा किया, जैसे कि वह आईईडी को वाहन के नीचे फेंक देगा.
“आईईडी लेके आ गया,” बारूदी सुरंग से सुरक्षित वाहन के अंदर एक अन्य सैनिक को यह कहते हुए सुना जाता है.
आगे बढ़ने में असमर्थ होने के कारण वाहन पीछे होता है और एक ओर झुक जाता है, रास्ते में मोड़ लेने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी. हथियारबंद लोग पीछा करते रहे, वाहन पर बंदूकें तान दी गईं. एक अन्य हथियारबंद व्यक्ति को वाहन पर निशाना साधने के लिए क्रूड रॉकेट लांचर के साथ देखा गया.
असम राइफल्स ने अतीत में मोरेह और उसके आसपास के इलाकों में संदिग्ध विद्रोहियों द्वारा गोलीबारी के दौरान पुलिस कमांडो को बचाया है.
म्यांमार के विद्रोहियों के मणिपुर में प्रवेश की आशंका
17 जनवरी को पुलिस कमांडो पर हुए हमले में संदिग्ध विद्रोहियों द्वारा रॉकेट चालित ग्रेनेड दागे गए थे. राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने कहा था कि ऐसी संभावना है कि म्यांमार स्थित विद्रोही मणिपुर में प्रवेश कर गए हैं, लेकिन अभी तक इसके कोई सबूत नहीं है.
कम से कम 25 कुकी विद्रोही समूहों ने केंद्र और राज्य के साथ त्रिपक्षीय संचालन निलंबन (Suspension of Operations) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौते के तहत, विद्रोहियों को निर्दिष्ट शिविरों में रखा जाता है. ऐसे आरोप लगे हैं कि ऐसे कई शिविरों में पूरी उपस्थिति नहीं देखी गई है.
एसओओ समझौते को लेकर उठाए सवाल
मणिपुर के एक सेवानिवृत्त शीर्ष सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एलएन सिंह (सेवानिवृत्त) ने “कुकी उग्रवादियों” के बढ़ते खतरे के लिए एसओओ समझौते के बेअसर होने को जिम्मेदार ठहराया है.
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “कुकी उग्रवादी एसओओ समझौते से छूट और नरमी से प्रोत्साहित होकर अब सीधे अन्य सुरक्षाबलों को धमकी दे रहे हैं. एसओओ के 15 साल से अधिक, और कितना? एक समयसीमा होनी चाहिए. किसी को तो जवाब देना ही होगा कि करदाताओं का कितना अधिक पैसा खर्च किया जाएगा.”
हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत
झड़पें शुरू होने के बाद से पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी और घाटी-बहुसंख्यक मैतेई लोगों के बीच नौ महीने से तनाव बना हुआ है. हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. दोनों समुदाय अब तेजी से विभाजित हो गए हैं, किसी भी समुदाय के लोग उन क्षेत्रों में नहीं जा रहे हैं जहां दूसरे समुदाय के लोग रहते हैं.
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