Manipur Chief Minister Appeals To People Not To See Everyone As Enemy – मणिपुर के मुख्यमंत्री ने लोगों से हर किसी को दुश्मन की तरह नहीं देखने की अपील की
इंफाल:
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि आम लोगों को कानून लागू करने वालों की भूमिका नहीं निभानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने हर किसी को दुश्मन की तरह न देखने की अपील करते हुए कहा कि लोगों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए और उन पर हमला नहीं करना चाहिए.
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विभिन्न हलकों में आरोप लगे थे कि कई क्षेत्रों की सुरक्षा करने वाले स्वयंसेवक उन लोगों से पूछताछ करते हैं, जिन्हें वे संदिग्ध मानते हैं और उनके साथ मारपीट भी करते हैं.
मुख्यमंत्री ने एक योजना की भी घोषणा की जिसके तहत एक निश्चित श्रेणी की महिलाओं को सरकार से प्रति माह 500 रुपये मिलेंगे. सिंह ने यहां एक समारोह में कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति के कारण लोगों का संदेह करना समझ में आता है और कुछ बुनियादी सवाल पूछना ठीक है. हालांकि, अपमानजनक कृत्य बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.”
उन्होंने कहा कि एक आम व्यक्ति कानून लागू करने वाले की भूमिका नहीं निभा सकता और दूसरों से बेवजह पूछताछ नहीं कर सकता या उन पर हमला नहीं कर सकता.
सिंह ने हाल की एक घटना पर भी निराशा व्यक्त की जिसमें थौबल जिले के लाइमनाई क्षेत्र की दो महिलाओं पर बिष्णुपुर जिले के एक स्थान पर कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘बिना किसी कारण के दोनों महिलाओं पर हमला क्यों किया गया? मामला तुरंत पता चल गया और सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया. इसे तूल दिया जा सकता था.”
सिंह ने लोगों से कानून अपने हाथ में नहीं लेने की भी अपील की. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब भी नशीले पदार्थों की जब्ती हो या लूटपाट की आशंका हो, कृपया कानून अपने हाथ में न लें क्योंकि इससे तनाव पैदा होगा. बल्कि उन्हें (आरोपियों को) पुलिस को सौंप दें.”
सिंह ने औपनिवेशिक युग के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ मणिपुरी महिलाओं के प्रदर्शन ‘नुपी लान’ की स्मृति में आयोजित समारोह के दौरान एक योजना की भी घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘‘नयी योजना उन महिलाओं के लिए लागू की गई है जो 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र की हैं, जिनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और वे किसी अन्य योजना के अंतर्गत नहीं आती हैं. योजना के तहत लाभार्थियों को 500 रुपये प्रति माह मिलेंगे.”
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे गए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)