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Man Stays In Jail For 3 More Years As Authorities Fail To Open Bail Email – अधिकारी नहीं खोल पाए बेल ऑर्डर की ईमेल, 3 साल ज्यादा जेल में रहा शख्स; अब मिलेगा मुआवजा



जेल अधिकारियों ने हाईकोर्ट को बताया कि वे 2020 में रजिस्ट्री द्वारा उन्हें ईमेल (Bail Email) किए गए जमानत आदेश में अटैच फाइल को खोलने में असमर्थ थे. इसलिए उस व्यक्ति को रिहा नहीं किया जा सका.

आवेदक 27 वर्ष का है. एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. वह करीब 5 साल तक की सजा काट चुका था. इस बीच अदालत ने उसकी सजा निलंबित कर दी और उसे जमानत दे दी. हालांकि, कैदी चंदनजी ताकोर को जमानत हासिल करने के बावजूद तीन साल तक जेल में रहना पड़ा, क्योंकि जेल अधिकारी जरूरी कार्रवाई करने में नाकाम रहे.

अदालत ने अपने आदेश कहा, “यह कोई ऐसा मामला नहीं है कि ईमेल जेल अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुआ था. यह जेल अधिकारियों का मामला है कि कोविड ​​​-19 महामारी के मद्देनजर आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा सकी. हालांकि, उन्हें ईमेल मिला, लेकिन वे अटैच फाइल खोलने में असमर्थ थे.”

जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे ने कहा, “आवेदक की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, जो जेल अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस न्यायालय के आदेश के बावजूद जेल में है…हम लगभग तीन वर्षों तक जेल में उसकी अवैध कैद के लिए मुआवजा देने के इच्छुक हैं.” कोर्ट ने वर्तमान मामले को ‘आंखें खोलने वाला’ माना.

अदालत ने राज्य से जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) से देरी से रिहाई के ऐसे ही मामलों की पहचान करने का आग्रह किया जाए. कोर्ट ने कहा, “हम राज्य को उसे एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दे रहे हैं. इसका भुगतान 14 दिनों की अवधि के भीतर किया जाएगा. रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश को जिला सत्र न्यायालय, मेहसाणा को भी सूचित करे.”

कोर्ट ने निर्देश दिया, “इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए हम सभी डीएलएसए को विचाराधीन कैदियों/दोषियों का डेटा एकत्र करने का निर्देश देना उचित समझते हैं, जिनके पक्ष में जमानत पर रिहा करने के आदेश पारित किए गए हैं लेकिन वे रिहा नहीं किए गए हैं.”

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