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Mahatma Gandhi Birth Anniversary 2023 Gandhi Ji Ashes Were Immersed In Kota In 1948 Ann


Happy Gandhi Jayanti 2023: चंबल नदी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की अस्थियों के विसर्जन के बाद बनाया गया विसर्जन स्थल आज उपेक्षा का शिकार हो रहा है. कोटा में भले ही करोड़ों के विकास कार्य हुए हो, लेकिन महात्मा गांधी ही की सबसे बड़ी स्मृति के रूप में यहां स्थापित विसर्जन स्थल जहां शिलालेख भी हैं, वह आज उपेक्षा का दंश झेल रहा है. दरअसल, 1986 में कोटा में भीषण बाढ़ आई थी उस समय यह स्थल क्षतिग्रस्त हो गया था. केवल स्मृति शिला ही बची थी, जिसे सुरक्षा के तौर पर कोट वॉल में चुनवा दिया था, लेकिन करीब 37 साल गुजरने के बाद भी आज तक इस अस्थि विसर्जन स्थल की किसी ने सुध तक नहीं ली.  

महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी. उसके बाद उनकी अस्थियों को देश भर में  कई जगह विसर्जित किया गया. उसी क्रम में11 फरवरी 1948 को स्वतंत्रता सेनानी नगेन्द्र बाला महात्मा गांधी की अस्थियां कोटा लेकर भी पहुंची थीं. इसे उस समय रामपुरा कोतवाली के सामने महात्मा गांधी विद्यालय के झरोखे में रखा गया. इसके बाद 12 फरवरी को अस्थि कलश को कोटा छोटी समाध और केशवरायपाटन में चंबल नदी में विसर्जित किया गया. इसी स्मृति को सदा याद रखा जाए इसके लिए कोटा के महाराव भीमसिंह ने उनका अस्थि विसर्जन स्थल चम्बल तट पर बनवाया.

करोड़ों का विकास, लेकिन गांधी स्मृति स्थल भूले
आज महात्मा गांधी की जयंती पर कोटा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन यहां सबसे प्रमुख स्थल की सरकार ने कोई खेर खबर नहीं ली. चम्बल नदी के कोटा बैराज के समीप बने चम्बल रिवर फ्रंट में करीब 1442 करोड़ के कार्य हुए, लेकिन यहीं पर स्थित महात्मा गांधी के स्मृति स्थल की सुध नहीं ली गई. वहीं गांधीवादी विचारक नरेश विजयवर्गीय का कहना है कि इस जगह को यादगार बनाना चाहिए था. 

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