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Maharashtra cabinet expansion: BJP Plan for upset Sudhir Mungantiwar And Chhagan Bhujbal ANN


Maharashtra News: महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का विस्तार होते ही महायुति में नाराजगी का सिलसिला शुरू हो गया. जिन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई वह काफी नाराज हैं और उनकी पार्टियां उन्हें अलग-अलग तरीकों से मनाने की कोशिश कर रही है. दरअसल, उनका नाराज होना पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

इस बीच सूत्रों ने बताया कि बीजेपी, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी नाराज नेताओं को मनाने के लिए कद के मुताबिक उन्हें अलग-अलग पद दे सकती है.

छगन भुजबल नाराज

ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले छगन भुजबल को जीत के बाद पूरी उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री पद दिया जाएगा, लेकिन जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो उनका नाम नहीं था. इसको लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है. छगन भुजबल को राज्यसभा देने की पेशकश की गई लेकिन उन्होंने पार्टी का यह ऑफर ठुकरा दिया है. छगन भुजबल ने कहा कि मुख्यमंत्री मुझे मंत्रिमंडल में शुरू से लेने की बात कर रहे थे, लेकिन अंत में नहीं लिया.

सुधीर मुनगंटीवार पर फडणवीस ने क्या कहा?

नाराज नेताओं में दूसरा बड़ा नाम सुधीर मुनगंटीवार का है. मंत्रिमंडल विस्तार के पहले सुधीर मुनगंटीवार को उम्मीद थी कि उनका लिस्ट में नाम है लेकिन जब शपथ ग्रहण हुआ तो उनका नाम नदारद था. जिसकी वजह से वह बेहद नाराज नजर आ रहे हैं. फिलहाल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकेत दिया है कि सुधीर मुनगंटीवार को पार्टी एक नई जिम्मेदारी देने की योजना बना रही है.

यही हाल शिंदे गुट की शिवसेना के नेता तानाजी सावंत का है. तानाजी सावंत महायुति सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे. उन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. इस खबर के बाद उन्होंने अपने प्रोफाइल से शिवसेना का सिंबल हटा दिया और एक शिव सैनिक के तौर पर अपने को पेश किया. 

तानाजी सावंत ने क्या कहा?

शिवसेना तानाजी सावंत को कैसे मना रही है इस बात का अभी पता नहीं चल रहा है लेकिन तानाजी ने एक प्रेस नोट जारी करके यह अपील की है कि उन्हें फोन ना किया जाए. वह अभी इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करना चाहते हैं.

ऐसे ही दर्जन भर से ज्यादा महायुति के जीते हुए विधायक हैं जो मंत्रिमंडल में जगह न मिलने की वजह से नाराज हैं. शिवसेना के राजेंद्र गावित और विजय शिवतारे ने भी नाराजगी जताई है. राजेंद्र गावित भी पहले मंत्री रह चुके हैं और आदिवासी मंत्रालय की अगुवाई कर चुके हैं. बीजेपी के संजय कुठे भी अपनी पार्टी से नाराज हैं. भंडारा से शिवसेना शिंदे गुट के नेता नरेंद्र भोंडेकर ने मंत्रिमंडल में शामिल न होने की वजह से पार्टी के सभी पदों से पहले ही इस्तीफा दे दिया है.

माना जा रहा है कि नागपुर में चल रहे विधानसभा सत्र के बाद महायुति के नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश बढ़ जाएगी.

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