Maha kumbh stampede police administration controlled crowd by implement special plan
Maha Kumbh Stampede: महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर भगदड़ की घटना के बाद पुलिस प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती भीड़ को संभालने की थी. कुंभ नगरी में पहले से ही करोड़ों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच चुके थे तो वहीं चारों दिशाओं से लाखों श्रद्धालु संगम नगरी की ओर बढ़ रहे थे. ऐसे में प्रशासन ने ऐसी रणनीति बनाई जिसके ज़रिए श्रद्धालुओं को कंट्रोल किया जा सका. प्लान के तहत सात आपातकालीन योजनाएं लागू की गईं जिसके बाद महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं को संगम की ओर भेजा गया और स्नान सुचारू रूप से संपन्न कराया गया.
महाकुंभ भगदड़ हादसे के बाद सबसे पहले प्रयागराज की सीमाएं सील कर दी गईं देर रात से ही मेले की ओर आने वाले तमाम वाहनों को होल्डिंग एरिया में रोक दिया गया. इसके साथ ही प्रयागराज की ओर आने वाले ट्रेनों और बसों पर ब्रेक लगा दी गई ताकि कुंभ नगरी में और श्रद्धालुओं की संख्या न बढ़ें. भीड़ प्रबंधन के लिए प्रशासन ने योजना बनाईं, जिसके जरिए भीड़ को काबू में किया गया.
प्रशासन ने ऐसे किया भीड़ को कंट्रोल
मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का ऐसा सैलाब प्रयागराज की ओर बढ़ रहा था, जिसे संभालना बेहद जरूरी था. ऐसे में पुलिस प्रशासन ने भीड़ को काबू करने के लिए सात आपातकालीन योजनाओं को लागू किया, जिसके तहत पूरी भीड़ को नियंत्रित किया गया. इसमें स्कीम 13, स्कीम 14, स्कीम 15, डी-1, डी-2 और दो अन्य योजनाएं शामिल थीं.
सबसे पहले रेलवे स्टेशन से संगम की ओर और संगम से रेलवे स्टेशन जाने वाली भीड़ को विभिन्न चौराहों डायवर्ट किया गया और सीमाओं पर वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी. श्रद्धालुओं को अलग-अलग रास्ते से संगम भेजा गया. अचानक संख्या बढ़ने पर लखनऊ, भदोही, कानपुर, मिर्जापुर और कौशांबी समेत जौनपुर व प्रतापगढ़ बॉर्डर को सील कर दिया गया. तमाम वाहनों को होल्डिंग एरिया में रोका गया.
श्रद्धालुओं का डायवर्जन कर भेजा गया
रीवां की ओर से नैनी आने वाले श्रद्धालुओं को अरैल की ओर भेजा गया. इसी तरह वाराणसी से झूंसी की ओर आने वाले श्रद्धालु को छतनाग, प्रतापगढ़ से लखनऊ आने श्रद्धालुओं को बघाड़ा से भेजा गया. तो वहीं स्नान कर लौटने वाले श्रद्धालुओं को मेडिकल चौराहा, पत्थर गिरिजाघर और पानी की टंकी के रास्ते से रेलवे स्टेशन की ओर रवाना किया गया. कई श्रद्धालुओं को रामबाग, जानसेनगंज और बाई का बाग होते हुए भेजा गया.
श्रद्धालुओं के डायवर्जन से संगम नगरी में एक साथ एक जगह पर ज्यादा श्रद्धालु इकट्ठा नहीं हो पाए और वो शहर में अलग-अलग रास्तों से अंदर आते रहे और स्नान के बाद दूसरे रास्तों से बाहर निकलते रहे.