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Maha Kumbh Mela 2025 Sanatan Dharma spirituality attracting foreigners to Maha Kumbh | महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, बोले


Maha Kumbh Mela 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे 45 दिवसीय महाकुंभ मेले में भारतीय आध्यात्मिकता का आकर्षण विदेशी नागरिकों को भी अपनी ओर खींच रहा है. विदेशों से आए श्रद्धालुओं में एक अलग ही उमंग देखने को मिल रहा है. इस बीच सुदूर स्वीडन के एस्किलस्टुना से आए टॉमू, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के संतों के साथ चर्चा करते दिखें. उन्होंने रुद्राक्ष की मालाएं पहन रखी थीं. उन्होंने बताया कि वे और अन्य विदेशी महाकुंभ में क्यों आए हैं.

टॉमू ने कहा, “बहुत से लोग हिंदू धर्म के मुख्य देवताओं – राम, कृष्ण और शिव के बारे में जानते हैं. लेकिन इसके गहरे आध्यात्मिक अर्थ को जानने वाले कम हैं. मुझे लगता है कि सनातन धर्म के सार को समझने के लिए इससे बेहतर जगह और समय नहीं हो सकता.” टॉमू ने बताया कि स्वीडन से कई लोग यहां हिंदू दर्शन और आध्यात्मिकता की गहराई को समझने के लिए आ रहे हैं.

विदेशी श्रद्धालुओं का बढ़ता रुझान
टॉमू ने आगे कहा कि कई विदेशी ‘हरे राम, हरे कृष्ण’ का जाप करते हैं और मंत्रोच्चार का आनंद लेते हैं. महाकुंभ में विदेशी नागरिकों की संख्या इसलिए बढ़ रही है क्योंकि वे गहराई से सनातन संस्कृति को समझना चाहते हैं. उन्होंने भारत को उच्च आध्यात्मिक भागफल वाला देश बताते हुए भविष्य में यहां फिर से आने की इच्छा व्यक्त की.

अमेरिका के टेक्सास से आए लेस्ली और जॉन चैथम भी पहली बार महाकुंभ में शामिल हुए. यह उनका भारत का पहला दौरा है. उनके नौ सदस्यीय समूह में यूके और कनाडा के लोग भी हैं. लेस्ली ने कहा, “यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता की खोज हमें यहां खींच लाई.”

आध्यात्मिकता में समर्पण और नए जीवन की शुरुआत
कुछ विदेशियों ने न केवल हिंदू धर्म अपनाया है, बल्कि आध्यात्मिक परीक्षाएं भी पास की हैं. अमेरिकी सेना के पूर्व वरिष्ठ कमांडर के बेटे टॉम, जिन्होंने आईटी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर सन्यास लिया, अब ‘स्वामी व्यासानंद गिरि’ नाम से पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर बन चुके हैं. महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि टॉम ने योग और ध्यान का गहन अध्ययन किया और हिंदू धर्म में घुलमिल गयें.

माइकल, जो अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक हैं, अब ‘बाबा मोक्षपुरी’ के नाम से जाने जाते हैं और जूना अखाड़ा के सदस्य हैं. माइकल ने बताया कि उनके बेटे की मृत्यु ने उन्हें जीवन की अकेलापन का अहसास कराया और यह मोक्ष की खोज की प्रेरणा बनी. माइकल ने कहा, “ध्यान और योग ने मुझे इस कठिन समय में सांत्वना दी. भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने मेरी आध्यात्मिक जागृति को नई दिशा दी.”

भारतीय आध्यात्मिकता का वैश्विक प्रभाव
माइकल अब न्यू मैक्सिको में भारतीय दर्शन को बढ़ावा देने के लिए एक आश्रम स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि नीम करोली बाबा के आश्रम की यात्रा उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव थी. बाबा की ऊर्जा ने उनकी योग और ध्यान के प्रति भक्ति को और गहरा किया. महंत रवींद्र पुरी ने कहा, “विदेशी श्रद्धालु जब किसी चीज को स्वीकार करते हैं, तो वे उसे पूरी लगन और ईमानदारी के साथ अपनाते हैं. वे हिंदू धर्म और सनातन के शानदार राजदूत हैं.”

महाकुंभ का महत्व
बता दें कि 13 जनवरी को शुरू हुए महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को होगा. करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं.

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