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Lucknow Ayurveda scam CBI special court sentenced Ayurveda and Unani Officer Dr Ramesh Chandra Sharma to 3 years imprisonment ANN


केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने लखनऊ में आयुर्वेद घोटाले में एक बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले में उन्नत प्रदेशीय आयुर्वेद और यूनानी अधिकारी (RAUO) डॉ. रमेश चंद्र शर्मा, बांदा (उत्तर प्रदेश) को 3 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. यह मामला 1996 में दर्ज हुआ था और कई वर्षों की जांच-पड़ताल के बाद बुधवार (19 मार्च, 2025) को अदालत ने आरोपी को सजा सुनाई है.

मामले का इतिहास और पृष्ठभूमि
आयुर्वेद घोटाले का मामला 06.08.1996 में दर्ज किया गया था. यह मामला उस समय का है जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश (10.07.1996) के तहत जांच शुरू हुई थी. मामले में आरोप है कि उस समय UP लखनऊ के निदेशक, आयुर्वेद और यूनानी अधिकारी डॉ. शिवराज सिंह को 3,94,35,000 रुपये का बजट दिया था लेकिन एक बड़ी साजिश के तहत, जिला स्तर के आयुर्वेद और यूनानी अधिकारियों (DAUO) ने मिलकर 46 करोड़ रुपये के फर्जी अनुदान पत्र जारी कर दिए. इन फर्जी पत्रों के आधार पर विभिन्न जिलों के DAUO ने अतिरिक्त बजट मांग कर दवाइयां, चिकित्सा उपकरण और अन्य सामान बिना किसी वास्तविक आवश्यकता और नीलामी प्रक्रिया के खरीद लिए. इससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा.

जांच और कानूनी कार्रवाई
सीबीआई ने इस मामले की गहराई से जांच की और कुल मिलाकर एक मूल चार्जशीट और 33 अनुपूरक चार्जशीटें दाखिल कीं. अनुपूरक चार्जशीट, केस नंबर 8/1998, 14.01.1998 को दर्ज की गई थी, जिसमें डॉ. रमेश चंद्र शर्मा समेत छह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. मामले के दौरान पांच अन्य आरोपियों की मृत्यु हो जाने के कारण उन पर कानूनी कार्रवाई न करने का निर्णय लिया गया.

फैसले की महत्ता
लखनऊ सीबीआई कोर्ट का यह फैसला इस बात का संकेत है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. सरकारी धन के दुरुपयोग और फर्जी अनुदान पत्र जारी करने जैसी घटनाओं से निपटना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है. आम जनता और सरकारी कर्मचारियों के विश्वास को बहाल करने के लिए इस तरह के घोटालों की जांच तेज करना अत्यंत आवश्यक है.

आगे की दिशा
इस निर्णय के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य संबंधित मामलों में भी कड़ी सजा सुनाई जाएगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जांच एजेंसियों का यह कदम सराहनीय है. ऐसे मामलों से यह संदेश जाता है कि अब किसी भी तरह का धन का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इस प्रकार लखनऊ सीबीआई कोर्ट का यह फैसला आयुर्वेद घोटाले में न्याय की आशा को जीवंत करता है और उम्मीद की जाती है कि भविष्य में ऐसे घोटालों से सरकारी धन को सुरक्षित रखा जाएगा.

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