Lokniti-CSDS Survey On Identify Unemployment As The Top Concern By Indian Youth Study On Post Covid Pandemic World – Lokniti-CSDS Survey: युवाओं की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी, जानें- कोरोना ने कैसे बदली उनकी जिंदगी?

बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या
सर्वे में शामिल 36 % युवाओं ने बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या माना है. 16% युवा गरीबी को सबसे बड़ी समस्या मानते हैं. 13 फीसदी युवाओं ने कहा कि उनके लिए महंगाई सबसे बड़ी समस्या है. सर्वे में शामिल 6 फीसदी युवाओं ने भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी समस्या बताया. 4 फीसदी युवाओं के मुताबिक ऑनलाइन एजुकेशन बड़ी समस्या है. वहीं, 4 फीसदी युवाओं के मुताबिक बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी समस्या है. सर्वे में शामिल 18 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.
ज्यादातर युवाओं को आर्टस में दिलचस्पी
सर्वे में युवाओं से पढ़ाई के फील्ड को लेकर उनकी पंसद पूछी गई थी. सर्वे में शामिल एक-तिहाई यानी 35 फीसदी युवाओं ने पढ़ाई के लिए आर्ट्स/ह्यूमैनिटीज को अपनी पहली पसंद बताया. सर्वे में शामिल 20 फीसदी युवाओं ने साइंस के प्रति दिलचस्पी दिखाई. 8 फीसदी युवाओं ने कॉमर्स को अपनी पसंद बताया. गौर करने वाली बात ये है कि सर्वे में शामिल सिर्फ 5 फीसदी युवाओं ने साइंस/टेक्नोलॉजी को अपनी पसंद बताया है, जबकि 16 फीसदी युवाओं ने मिक्स्ड सब्जेक्ट (मिले-जुले विषयों) को अपनी पसंद बताया. सर्वे में शामिल बाकी युवाओं ने कोई जवाब नहीं दिया.
युवाओं का रोजगार प्रोफाइल
सर्वे में शामिल युवाओं के रोजगार प्रोफाइल की भी पड़ताल की गई थी. इसमें पाया गया कि करीब एक-चौथाई यानी 23% युवा स्व-रोज़गार थे. यानी उनका खुद का कुछ काम है. वहीं, सर्वे में शामिल 16% युवा डॉक्टर और इंजीनियर जैसे प्रोफेशन से जुड़े थे. 15 प्रतिशत युवा कृषि में शामिल थे. युवाओं का 14 फीसदी हिस्सा अर्ध-अकुशल (Semi-Unskilled) और 13 फीसदी हिस्सा कुशल (Skilled) काम में शामिल है. सर्वे में यह भी बात सामने आई कि सरकारी नौकरी युवाओं का सबसे पसंदीता क्षेत्र है, इसके बाद भी सिर्फ 6 प्रतिशत युवा ही सरकारी नौकरियों में थे.
16 फीसदी युवा हेल्थ सेक्टर में बनाना चाहते हैं करियर
सर्वे में शामिल युवाओं से उनके करियर प्लानिंग के बारे में भी सवाल किए गए थे. सर्वे में शामिल 16 फीसदी युवा हेल्थ सेक्टर (डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ)में अपना करियर बनाना चाहते थे. 2021 में कोरोना महामारी के दौरान किए गए सर्वे में भी संकेत मिला था कि युवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हेल्थ सेक्टर में शामिल होना चाहता था. कोविड-19 ने हेल्थ सेक्टर में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं की संख्या बढ़ाने में काफी हद तक मदद की है.
एजुकेशन सेक्टर युवाओं की दूसरी पसंद
सर्वे के मुताबिक, करियर के लिहाज से युवाओं की दूसरी पसंद एजुकेशन सेक्टर है. 14 प्रतिशत युवा टीचिंग और इससे जुड़े काम को पेशे के तौर पर अपनाना चाहते हैं. सर्वे से यह भी पता चलता है कि एक समान अनुपात (10 में से 1) साइंस या टेक्नोलॉजी से जुड़े नौकरियों में शामिल होना या अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं. सर्वे में शामिल 6 फीसदी युवा सरकारी नौकरियों में जाना चाहते हैं. 8 फीसदी पुलिस और 3 फीसदी प्रशासनिक सेवाओं में रहना चाहते हैं. सिर्फ 2 फीसदी युवाओं ने अपनी वर्तमान नौकरी जारी रखने की इच्छा जाहिर की.
सरकारी या प्राइवेट नौकरी?
सर्वे में युवाओं से सरकारी या प्राइवेट नौकरी में चुनने को कहा गया था. सर्वे में शामिल 61 फीसदी युवाओं ने सरकारी नौकरी को अपनी प्राथमिकता बताई. 27 फीसदी युवाओं ने अपना बिजनेस, वेंचर या स्टार्ट अप शुरू करने की इच्छा जाहिर की. सिर्फ 6 फीसदी युवा प्राइवेट नौकरी करना चाहते थे.
ऑनलाइन क्लासेस के दौरान इंटरनेट ने किया परेशान
सर्वे में शामिल युवाओं से कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन क्लासेस और ऑनलाइन स्टडी के दौरान हुई दिक्कतों को लेकर सवाल किए गए थे. इनमें से 39 फीसदी युवाओं ने खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी को एक बड़ी समस्या बताया. वहीं, 80 फीसदी युवाओं ने माना कि कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई करने में दिक्कत आई थी. जबकि 5 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आई.
कोरोनाकाल में युवाओं को किन चीजों ने किया परेशान?
युवाओं से कोरोनाकाल के दौरान के हालातों के बारे में भी सवाल किए गए थे. सर्वे में शामिल 67 फीसदी युवाओं ने कहा कि कोरोनाकाल के दौरान उन्हें और उनके परिवार की पूरी सेविंग खर्च करनी पड़ी. 47 फीसदी युवाओं ने माना कि कोरोनाकाल या लॉकडाउन के दौरान उन्हें उधार लेना पड़ा. 46 फीसदी युवाओं ने माना कि उनके परिवार को मेडिकल केयर के बिल पेमेंट में दिक्कत आई. 26 फीसदी युवाओं का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें रूम या हॉस्टल का किराया भरने में मुश्किलें आई थीं.
कोरोनाकाल में लाइफ स्टाइल में क्या हुआ बदलाव?
कोरोनाकाल में युवाओं के लाइफ स्टाइल में क्या बदलाव आया. इसके जवाब दिलचस्प थे. 6 फीसदी युवाओं ने कहा कि कोरोनाकाल में वो पहले के मुकाबले रात को जल्दी सोने लगे थे. जबकि 23 फीसदी युवाओं का कहना था कि कोरोनाकाल में वो पहले के मुकाबले देर से सोते थे. 13 फीसदी युवाओं ने माना कि कोरोनाकाल के दौरान उनका वर्कआउट या एक्सरसाइज का वक्त पहले के मुकाबले बढ़ गया था. जबकि 12 फीसदी युवाओं का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनकी फिजिकल एक्टिविटी पहले से कुछ कम हो गई थी. 3 फीसदी युवाओं ने कहा कि कोरोनाकाल या लॉकडाउन के समय उनका स्क्रीन टाइम यानी टीवी/ओटीटी पर मूवी देखने का वक्त पहले से कम हुआ. जबकि 47 फीसदी युवाओं ने माना की लॉकडाउन में उनका स्क्रीन टाइम पहले के मुकाबले बढ़ गया था.
सोशल रिलेशन पर क्या हुआ असर?
सर्वे में युवाओं से कोरोनाकाल या लॉकडाउन के दौरान उनके सोशल रिलेशन पर भी सवाल किए गए थे. लॉकडाउन ने युवाओं में अपने परिवार के प्रति नजदीकियां बढ़ाने का काम किया. सर्वे में शामिल 53 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन या कोरोनाकाल में उनका अपने लाइफ पार्टनर (पति या पत्नी) के साथ बॉन्डिंग पहले से ज्यादा अच्छी हो गई है. 38 फीसदी लोगों ने कहा कि बॉन्डिंग पहले जैसी ही है. वहीं, 7 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन के दौरान लाइफ पार्टनर के साथ उनकी बॉन्डिंग कम हो गई है.
इसी तरह सर्वे में शामिल 51 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन के दौरान उनकी अपनी मां के साथ बॉन्डिंग अच्छी हुई है. जबकि 48 फीसदी युवाओं का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उनकी अपने पिता के साथ बॉन्डिंग बेहतर हो गई है.
लॉकडाउन में सोशल मीडिया का इस्तेमाल?
लॉकडाउन या कोरोनाकाल के दौरान युवाओं ने सोशल मीडिया के वॉट्सऐप प्लेटफॉर्म का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया. सर्वे में शामिल 45 फीसदी युवाओं ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने दिन में कई बार वॉट्सऐप का इस्तेमाल किया. 39 फीसदी युवाओं ने कहा कि उन्होंने यू-ट्यूब पर ज्यादा वक्त बिताया. सर्वे में शामिल 23 फीसदी युवाओं का कहना था कि लॉकडाउन के समय उन्होंने ज्यादातर समय फेसबुक सर्फिंग करके बिताया. 25 फीसदी युवाओं ने इंस्टाग्राम पर टाइम बिताया. जबकि सिर्फ 6 फीसदी युवाओं ने ट्विटर का इस्तेमाल किया. 43 फीसदी युवाओं ने सोशल मीडिया पर ह्यूमर (हास्यास्पद) कंटेंट पर ज्यादा वक्त बिताया.
मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर प्रभाव
कोरोनाकाल या लॉकडाउन ने हमसे से कई लोगों के मेंटल और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित किया है. 43 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन या कोरोनाकाल में उनका गुस्सा पहले के मुकाबले बढ़ गया है. 35 फीसदी युवाओं ने माना कि उनका गुस्सा पहले जैसा ही है, इसमें कोई असर नहीं हुआ. 14 फीसदी युवाओं ने माना कि उनका गुस्सा पहले से कम हुआ है.
लॉकडाउन में बढ़ी उदासी
सर्वे में शामिल 40 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन में उनकी उदासी बढ़ गई है. जबकि 36 फीसदी युवाओं का मानना है कि ये पहले जैसी ही है. वहीं, 14 फीसदी युवाओं का कहना है कि लॉकडाउन में परिवार के साथ रहने से उनकी उदासी कम हुई है. सर्वे में शामिल 36 फीसदी युवाओं ने माना कि लॉकडाउन में उनकी निराशा बढ़ी है. 33 फीसदी युवाओं ने कहा कि ये पहले जैसी ही है और 16 फीसदी ने माना कि उनकी निराशा कम हुई है. डिप्रेशन को लेकर पूछे गए सवाल पर 31 फीसदी युवाओं ने माना कि उनका अवसाद या तनाव पहले के मुकाबले बढ़ गया है. जबकि 16 फीसदी युवाओं का कहना है कि लॉकडाउन में उनका डिप्रेशन कम हुआ है.
मौत का डर सताया
दूसरे कोविडकाल में हुई मरीजों की मौतों का असर भी हुआ है. सर्वे में शामिल 36 फीसदी युवाओं ने माना कि कोरोनाकाल के बाद उनमें मौत का डर बढ़ गया है. 20 फीसदी युवाओं ने कहा कि मौत का डर कम हुआ है. सर्वे में शामिल 36 फीसदी युवाओं ने माना कि उनका अकेलापन बढ़ा है. जबकि 20 फीसदी ने अकेलापन कम होने की बात कही.
आत्महत्या करने का ख्याल
कोरोनाकाल के दो साल में युवाओं में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है. सर्वे में 3 फीसदी लोगों ने माना कि कोरोनाकाल में उन्हें कई बार सुसाइड का ख्याल आया. 9 फीसदी युवाओं ने कहा कि उन्हें खुदकुशी का ख्याल कभी-कभी आया. 12 फीसदी युवाओं का मानना था कि उन्हें कोरोनाकाल में सुसाइड का ख्याल शायद ही आया. 73 फीसदी युवाओं ने कहा कि उन्हें सुसाइड का ख्याल कभी नहीं आया. 3 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.
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