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Lok Sabha Elections 2024 Who Will The People Of Baramati Choose Daughter Or Daughter-in-law Supriya Sule And Sunetra Pawar Face To Face – लोकसभा चुनाव 2024: बारामती की जनता किसे चुनेगी, बेटी या बहू… सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार आमने-सामने


लोकसभा चुनाव 2024: बारामती की जनता किसे चुनेगी, बेटी या बहू... सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार आमने-सामने

सुप्रिया सुले के प्रचार में खुद उनके पिता और पार्टी प्रमुख शरद पवार जुटे हुए हैं…

नई दिल्‍ली :

महाराष्‍ट्र की बारामती देश की गिनी चुनी हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. एनडीटीवी की चुनावी यात्रा बारामती लोकसभा क्षेत्र में पहुंची है. शरद पवार एक लंबे वक्त तक इस सीट से सांसद रहे और फिर उनकी बेटी सुप्रिया सुले यहां की सांसद बनीं. हालांकि, सुले के लिए इस बार इस सीट से जीत पाना आसान नहीं है, क्योंकि उन्हें चुनौती खुद पवार परिवार के ही एक सदस्य से मिलने जा रही है. 

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बीते 5 सालों में महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उठा पाठक हुई है. कई नाटकीय घटनाक्रम हुए हैं. शिवसेना और एनसीपी जैसी पार्टियां दो फाड़ हो गई. उस ड्रामा का असर अब लोकसभा चुनाव में भी नजर आ रहा है. अगर बारामती सीट की बात करें, तो यहां मुकाबला एक बहू और एक बेटी के बीच है.

गले तो मिल लिए, लेकिन दिल भी मिल रहे हैं क्या? 

हाल ही में एक तस्वीर सामने आई, जिसमें सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार एक मंदिर में आमने-सामने आ गए. भले ही यह दोनों महिलाएं एक ही परिवार की सदस्य हों, लेकिन सियासत की दुनिया में यह एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी बन गई हैं. लड़ाई है बारामती लोकसभा सीट पर कब्जा हासिल करने की… एक तरफ जहां सुप्रिया सुले यहां से चौथी बार सांसद चुने जाने के लिए जोर लगा रही हैं, तो वहीं उनकी कुर्सी झटकने की खातिर सुनेत्रा पवार भी मैदान में हैं. चुनावी सभा में सुप्रिया सुले अपनी भाभी सुमित्रा पर सीधे तो हमला नहीं करती, लेकिन राज्य की जिस महायुती कि वे उम्मीदवार हैं उस पर गंभीर आरोप लगाती हैं.

सुप्रिया सुले के प्रचार में खुद उनके पिता और पार्टी प्रमुख शरद पवार जुटे हुए हैं. शरद पवार के पोते रोहित पवार जो की एक विधायक भी हैं, लोगों के बीच जाकर अपनी बुआ के लिए प्रचार कर रहे हैं. रोहित पवार का कहना है कि जिस तरह से पिछले साल अजीत पवार ने शरद पवार से बगावत की उसके बाद एक सहानुभूति की लहर पैदा हुई है, जिसका फायदा सुप्रिया सुले को मिलेगा.

खूब मशक्कत कर रही हैं सुनेत्रा पवार 

सुबह 8:00 बजे से ही सुनेत्रा पवार का दिन शुरू हो जाता है. वे बारामती के गांव में घूम-घूमकर छोटी-छोटी बैठकर कर लेती हैं और गांव वालों की समस्याएं सुनती हैं. एनडीटीवी से बात करते हुए सुनेत्रा पवार ने यह कबूल किया कि वह राजनीति में नहीं हैं और इसलिए लोगों के बीच में जाकर उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है. अजीत पवार के करीबियों का मानना है की उनके महायुति में शामिल हो जाने का फायदा सुनेत्रा पवार को मिलेगा, जो बीजेपी पिछले चुनाव में एनसीपी के खिलाफ थी, वह इस बार सीपी का समर्थन कर रही है.

सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के मुकाबले में ट्विस्‍ट! 

भले ही मुकाबला सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच हो रहा हो, लेकिन कहानी इतनी सीधी नहीं है. कहानी में एक ट्विस्ट है. शिवसेना के नेता और पूर्व मंत्री विजय शिवतारे यह ट्विस्ट लाये हैं, उनका कहना है कि वे भी चुनाव लड़ेंगे.दरअसल विजय शिवतारे ने चुनाव लड़ने का फैसला अजीत पवार के साथ अपनी पांच साल पुरानी अदावत के चलते किया है. बीते विधानसभा चुनाव में शिवतारे पुरंदर सीट से उम्मीदवार थे, लेकिन अजीत पवार ने चुनौती दी थी कि वह शिवतारे को चुनाव नहीं जीतने देंगे… हुआ भी वही. शिवतारे चुनाव हार गए. अब अजीत पवार को सबक सिखाने के लिए शिवतारे उनकी पत्नी के खिलाफ चुनाव में उतरने जा रहे हैं. हालांकि, इसके पीछे कारण वे कुछ और बताते हैं और इनकार करते हैं कि वे बदले की भावना से ऐसा कर रहे हैं.

लहलहाते हुए हरे-भरे गन्ने के खेत बारामती की पहचान है. बारामती के किसान राज्य के बाकी हिस्सों के किसानों से ज्यादा समृद्ध माने जाते हैं. सूगर कोऑपरेटिव मूवमेंट की शुरुआत इसी इलाके से हुई थी. इन्ही सूगर कोऑपरेटिव पर अपने प्रभाव के जरिए पवार परिवार अपनी राजनीति करता रहा है. हालांकि, बारामती के लोग यहां की बहू या फिर बेटी किसे चुलेंगे… इस लोकसभा क्षेत्र के अंदर छह विधानसभा की सीटें आती हैं, जिनमे दो पर बीजेपी, दो पर कांग्रेस और दो पर एनसीपी का कब्जा है. पिछले चुनाव में सुप्रिया सुले ने अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की कंचन कूल को 155774 मतों से हराया था.

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