Lok Sabha Elections 2024 NDTV Battleground On Maharashtra Politics PM Narendra Modi Bjp Nda India Alliance Rahul Gandhi – NDTV बैटलग्राउंड : 2024 के चुनाव में PM मोदी की लोकप्रियता कितनी रहेगी हावी? क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) की तारीखों के ऐलान के बाद ही BJP की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और कांग्रेस (Congress) की अगुवाई वाले INDIA अलायंस के बीच लड़ाई का मैदान सज चुका है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस चुनाव में NDA के लिए 400 पार सीटों और अकेले BJP के लिए 370 सीटों का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए BJP और उसके सहयोगी दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. वहीं, विपक्षी पार्टियों ने BJP को सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए INDIA गठबंधन बनाया है. इन दलों ने 2019 में भी BJP को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि, जहां BJP और NDA के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा चेहरा है. वहीं, विपक्षी गठबंधन नेतृत्व की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि इस बार लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की लोकप्रियता कितनी हावी रहेगी.
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NDTV के खास शो ‘Battleground’ में एक्सपर्ट पैनल से इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश की गई. पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, “बेशक इस बार के चुनाव में पीएम मोदी की लोकप्रियता हावी रहेगी. बीजेपी ने कास्ट पॉलिटिक्स में विकास पॉलिटिक्स का तड़का लगा दिया है. इसकी वजह से यूपी जैसे जातिवाद राज्य में भी 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 4 फीसदी लोगों ने जातिगत आधार पर मतदान किया.”
कांग्रेस की गारंटी पर भारी पड़ रही मोदी की गारंटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अपनी हैट्रिक के लिए पूरी तरह से विश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने ‘मोदी की गारंटी’ को अपने अभियान का मुख्य विषय बनाया है. नरेंद्र मोदी की वेबसाइट पर भी ‘मोदी की गारंटी’ को विस्तृत तरीके से बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ये युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तीकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिये पर पड़े और कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है, जिन्हें दशकों तक नजरअंदाज किया गया. दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल पर सवाल उठाए हैं. लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने अपनी 5 ‘न्याय’ गारंटी सामने रखी है, जिसका उद्देश्य युवाओं, किसानों, महिलाओं, मजदूरों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है. लेकिन इन सब पर पीएम मोदी की गारंटी भारी पड़ती दिखती है.
चुनाव में 5 राज्यों पर रहेगा फोकस
लोकनीति के राष्ट्रीय संयोजक, शिक्षाविद और इलेक्शन एनालिस्ट संदीप शास्त्री ने कहा, “इस चुनाव में मैं सबसे ज्यादा देश के 4 या 5 राज्यों में फोकस कर रहा हूं. उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक… इन्हीं राज्यों में बदलाव के कुछ संकेत हो सकते हैं. इन पांच राज्यों का राजनीतिक विकास और चुनाव में वहां के नतीजे ये फैसला करेंगे कि सरकार को कितना बहुमत मिलेगा. यानी इन पांच राज्यों में जितनी सीटें जो पार्टी जीत पाएगी, उससे तय हो जाएगा कि फाइनल नंबर कितना आने वाला है. इनमें से सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले यूपी में पीएम मोदी को लेकर जबरदस्त क्रेज है.”
चुनाव में महंगाई कितना बड़ा मुद्दा?
इस चुनाव में महंगाई भी एक बड़ा मुद्दा होगी. कांग्रेस सहित INDIA गठबंधन में शामिल विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाती रही हैं. हालांकि, BJP ने रोजगार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार भी किया है. पीएम नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में अक्सर ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘स्टार्टअप’ की बात करते हैं. बीजेपी फ्रीविज़ (रेवड़ी कल्चर) का मुद्दा उठाकर कांग्रेस की गारंटी योजनाओं पर वार भी करती है. शिक्षाविद और पॉलिटिकल एनालिस्ट डॉ. मनीषा प्रियम कहती हैं, “चुनाव में बेशक महंगाई बड़ा मुद्दा है. लेकिन ये आर्थिक क्षेत्र में जीवंत मुद्दा है और राजनीतिक क्षेत्र में कुंद मुद्दा है.”
चुनाव में निर्णायक राज्य की भूमिका में होगा महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात को लेकर रोहित चंदावरकर (सीनियर जर्नलिस्ट) कहते हैं, “बेशक लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र एक निर्णायक राज्य की भूमिका में रहेगा. यूपी की 80 सीटों के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें (48) हैं. इस बार पूरे लोकसभा चुनाव के नतीजों की भविष्यवाणी की जा सकती है. लेकिन महाराष्ट्र में क्या होगा, इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. महाराष्ट्र में अभी जितनी अनिश्चिचता है, उतनी इससे पहले के चुनावों में कभी नहीं देखी गई. महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कहीं जाति फैक्टर चल रहा है. शहरी इलाकों में विकास का मुद्दा चल रहा है. इससे ऐसा पता ही नहीं चलता है कि विकास का मुद्दा ज्यादा असर करेगा या जाति का मुद्दा ज्यादा कारगर साबित होगा.”