Lok Sabha Elections 2024 Fight For 80 Seat In Uttar Pradesh How Akhilesh Yadav Rahul Gandhi Team Face BJP – UP की फॉर्मूला-80 रेस और 3 टीमें : 2014-19 की फिनिशिंग पोजिशन में रहेगी BJP? या राहुल-अखिलेश करेंगे कमाल
यूपी के चुनावी ट्रैक पर कितनी टीमें
यूपी के चुनावी ट्रैक पर इस बार तीन टीमें हैं. टीम A- मोदी-जयंत चौधरी. टीम B- अखिलेश यादव-राहुल गांधी, टीम C- मायावती
यूपी की रेस में कितने उम्मीदवार?
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से BJP ने 75 सीटों पर कैंडिडेट उतारे हैं. समाजवादी पार्टी (SP) 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस 17 सीटों पर मुकाबले में उतरी है (अमेठी-रायबरेली में कैंडिडेट का ऐलान होना है). बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 80 में से 80 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. अपना दल 2 सीटों पर मैदान में है. जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल (RLD) 2 सीटों पर किस्मत आजमा रही है.
2019 में यूपी की रेस के फिनिशिंग पोजिशन
अगर हम 2019 में हुई इस चुनावी रेस की फ़िनिशिंग पोजिशन पर नज़र डालें तो, 62 सीटें जीतकर बीजेपी नंबर 1 की पोजिशन पर रही. 10 सीटों के साथ बहुजन समाज पार्टी ने नंबर 2 पर जगह बनाई. समाजवादी पार्टी 5 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही. जबकि कांग्रेस लास्ट रही. उसने सिर्फ 1 सीट (रायबरेली) जीती थी.
2017 के विधानसभा चुनाव में BJP ने हासिल किया तीन-चौथाई बहुमत
वैसे ये पहला मौका नहीं है, जब अखिलेश यादव और राहुल गांधी पीएम मोदी के खिलाफ टीम बनाकर चुनावी रेस में उतरे हैं. 7 साल पहले विधानसभा चुनाव में भी दोनों साथ आए थे. लेकिन ये जोड़ी पूरी तरह ट्रैक से उतर गई थी. इन चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 61% रहा. भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें (39.7% वोट) जीतकर तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया. जबकि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को 56 सीटें (28.5% वोट) मिलीं. मायावती की बहुजन समाज पार्टी के खाते में 19 सीटें (22.2% सीटें) आईं. कांग्रेस को 7 सीटें (6.3% वोट) मिलीं.
मोदी के आगे हर टीम फेल
यूपी के सियासी ट्रैक पर गौर करें, तो मोदी के आगे हर टीम फेल है. 2019 में टीम SP-BSP को करारी हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी ने 62 सीटें जीती थी. उसकी सहयोगी अपना दल ने 2 सीटें जीती. कुल वोट पर्सेंटेज 50.8 फीसदी रहा. BSP+SP+ ने 15 सीटें जीतीं. उनका वोट पर्सेंटेज 38.9 रहा. कांग्रेस ने एक मात्र सीट पर जीत हासिल की. उसका वोट पर्सेंटेज 6.3 रहा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
क्या राहुल गांधी अखिलेश यादव का सात सालों के बाद फिर साथ आना बीजेपी को चुनौती देता हुआ दिखता है? इसके जवाब में राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडणवीस कहती हैं, “राहुल गांधी और अखिलेश यादव का साथ आना एक तरह से सिंबॉलिक है. लोगों को लग रहा है कि मोदी जी को हराने के लिए, बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष सभी तरह के हथकंडे अपना रहा है. आने वाले समय में मेरे ख्याल से एक या दो सीटों पर सपा भी सिमट जाए, मुझे कोई बहुत ज्यादा हैरानी नहीं होगी.”
बीजेपी जातियों को साधने में सफल रही है…गैर यादव OBC वोट देखें, तो बसपा का वोट बैंक खिसका है. ऐसे में कौन से समीकरण SP-कांग्रेस को फ़ायदा पहुंचा सकती है? इसके जवाब में राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, “2017 में जब सपा और कांग्रेस मिलकर लड़े, तो उनका वोट MY (मुस्लिम-यादव) वोट तक सीमित है. जिसकी आबादी 30 फीसदी है. 17 फीसदी वोट उन्हें मिला था. अब 2019 के इलेक्शन को देखें, तो 26 फीसदी इस गठबंधन का वोट है. 50 फीसदी से ऊपर का वोट एनडीए का है. अखिलेश यादव ने जाट समाज को साधने की कोशिश की थी. जयंत चौधरी पहले सपा के साथ थे. लेकिन बीजेपी ने उन्हें अपने पाले में कर लिया है. बसपा के पास लोकसभा चुनाव के हिसाब से 18 फीसदी वोट शेयर हैं. अब इस अलायंस का हिस्सा नहीं है. 21 फीसदी दलित वोटों में आज भी मायावती की ठीक-ठाक पकड़ है.”
अमिताभ तिवारी कहते हैं, “बीजेपी का जो सोशल इंजीनियरिंग ब्लॉक है, वो अपर कास्ट प्लस नॉन यादव ओबीसी जाटव और नॉन जाटव हैं. ये लगभग 55 फीसदी है. ऐसे में सपा-कांग्रेस का गठबंधन कितने सीटों पर दावेदारी कर पाएगा, ये बताने वाला कोई सटीक समीकरण नहीं है. अगर जनता में काफी ज्यादा नाराजगी होती है, तो कुछ हो सकता है.”