Lok Sabha Elections 2024 Congress Bjp India Alliance Nda Candidate Kaun From Gandhinagar Shimla And Satna Seat – BJP का गढ़ गांधीनगर : वाजपेयी, आडवाणी और अब अमित शाह… 2024 में किसे उतारेगी कांग्रेस?
गांधीनगर सीट (गुजरात)
सबसे पहले बात गांधीनगर सीट की करते हैं. गुजरात की राजधानी गांधीनगर की ये सीट राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम है. इस सीट में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. यहां से देश के उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी 1998 से लेकर 2014 तक सांसद रहे थे. ज़ाहिर है कि इस सीट पर BJP का दबदबा है. पिछले 30 साल से इस सीट पर उसके ही कैंडिडेट जीतते आए हैं. देश के गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह इस सीट से मौजूदा सांसद हैं.
अमित शाह ही होंगे उम्मीदवार
बीजेपी इस सीट पर अमित शाह को ही टिकट देगी. इसमें कोई शक नहीं है. अमित शाह अपनी पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे कद्दावर नेता हैं. चाहे सरकार हो या पार्टी दोनों में उनका दखल होता है. चुनाव प्रचार में भी उनकी अहम भूमिका रहती है.
कांग्रेस किसे देगी मौका?
एक समय था जब इस सीट पर कांग्रेस मज़बूत स्थिति में थी. लेकिन पिछले 30 साल से हालात बदले हुए हैं. गांधीनगर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर डॉ. हिमांशु पटेल का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. पटेल अभी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता हैं और पेशे से वकील हैं. वो पाटीदार समुदाय से आते हैं. गांधीनगर सीट के दावेदार के तौर पर बलदेवजी चंदूजी ठाकोर का नाम भी चर्चा में है. ठाकोर सामाजिक कार्यकर्ता हैं और खेती किसानी व पशुपालन जैसे कामों से जुड़े हुए हैं.
1996 में अटल ने लखनऊ और गांधीनगर सीट से लड़ा चुनाव
साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ और गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ा. दोनों सीटें जीतने के बाद उन्होंने गांधीनगर सीट से इस्तीफा दे दिया. 1998 से 2014 तक बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. इस सीट पर शहरी मतदाता ज्यादा हैं. इसलिए जातिगत समीकरण कम लागू होते हैं. गांधीनगर लोकसभा सीट पर मतदाता उम्मीदवार को नहीं, बल्कि पार्टी को वोट देते हैं.
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सतना सीट (मध्य प्रदेश)
गांधी नगर के बाद अब मध्य प्रदेश का रुख करते हैं और सतना लोकसभा सीट की बात करते हैं. सतना बघेलखंड इलाके का हिस्सा है. ये उसकी वाणिज्यिक राजधानी मानी जाती है. ये सीट बीजेपी का गढ़ रही है. 2019 में यहां से बीजेपी के गणेश सिंह सांसद चुने गए थे. वो चार बार के सांसद हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती है.
बीजेपी सतना में किस पर लगाएगी दांव?
बीजेपी में उम्मीदवार के तौर पर राकेश मिश्रा का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. ये गृह मंत्री के निजी सचिव रह चुके हैं और उनके काफी करीबी माने जाते हैं. पिछले कुछ सालों से राकेश मिश्रा ने इस इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज करते हुए कई हेल्थ कैंप लगाए और समाज कल्याण के काम किए.
राकेश मिश्रा के बाद डॉ. स्वप्ना वर्मा का नाम चल रहा है. वर्मा ने पिछले साल ही बीजेपी ज्वॉइन की है. ये BJP प्रदेश कार्य समिति की सदस्य हैं. उन्होंने समाजसेवा के ज़रिए जनता तक पहुंचने का काम किया है. संघ परिवार से लंबे अर्से से जुड़ी और संघ के बड़े नेता नानाजी देशमुख की दत्तक बेटी मानी जाने वाली डॉ नंदिता पाठक को भी पार्टी सतना से टिकट दे सकती है. लंबे समय तक इन्होंने चित्रकूट क्षेत्र में समाजसेवा का काम किया है. संजय तीर्थवानी भी बीजेपी की लिस्ट में हैं. वो सिंधी समाज के एक जाने माने चेहरे के रूप में उभरे हैं.
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कांग्रेस किसपर जताएगी भरोसा
इस सीट से उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस के दो विधायकों और एक पूर्व विधायक का नाम ज़ोरों पर चल रहा है. सबसे पहला नाम अजय सिंह राहुल का है, जो कांग्रेस के बड़े नेता हैं और नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. ये फिलहाल चुरहट विधानसभा सीट से विधायक हैं. चित्रकूट के पूर्व विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को भी कांग्रेस पार्टी सतना से अपना उम्मीदवार बना सकती है. कुशावाहा की पिछड़े वोटों में अच्छी पैठ है, जिसका फायदा दूसरी सीटों पर भी मिल सकता है. लिस्ट में नीलांशु चतुर्वेदी का नाम भी है, जो पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं. नीलांशु दो बार चित्रकूट से विधायक रह चुके हैं.
बीजेपी का गढ़ है सतना लोकसभा
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही कुछ सीटें सतना जिले से जीतती रही हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में पिछले 7 चुनाव से कांग्रेस की दाल नहीं गली. साल 1991 में अंतिम बार पूर्व सीएम दिवंगत अर्जुन सिंह ही यहां से सांसद चुने गए थे. उसके बाद से कोई चुनाव कांग्रेस नहीं जीत सकी. 1996 में हुए चुनाव में बीएसपी के नेता सुखलाल कुशवाहा ने कांग्रेस और बीजेपी को धूल चटाई थी. 1998 में रामानंद सिंह ने सतना में बीजेपी की वापसी कराई. उसके बाद से कोई भी चुनाव बीजेपी नहीं हारी है. 1999, 2004, 2009, 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव बीजेपी ही जीतती आ रही है. पिछले चार चुनाव बीजेपी नेता गणेश सिंह ने जीते.
शिमला सीट (हिमाचल प्रदेश)
आखिर में बात हिमाचल प्रदेश की शिमला सीट की करते हैं. हिमाचल प्रदेश में आजकल सियासी घटनाक्रम बहुत तेज़ी से बदल रहा है. राज्यसभा चुनावों में हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की सरकार होते हुए भी राज्य की इकलौती सीट क्रॉस वोटिंग की वजह से बीजेपी की झोली में जा गिरी. इसका खामियाजा लोकसभा चुनावों में पड़ सकता है.
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कांग्रेस किसे देगी टिकट?
कांग्रेस में कैंडिडेट के तौर पर पहला नाम धनी राम शांडिल्य का है, जो पिछली बार यहां से चुनाव हार गए थे. लेकिन दो बार सांसद और मंत्री रह चुके हैं. वैसे शांडिल्य की उम्र 83 साल हो चुकी है. ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन्हें रेस्ट दे. शांडिल्य के बाद यशपाल तैनिक का नाम चल रहा है. ये छात्र नेता के तौर पर कांग्रेस से जुड़े थे और पार्टी के कई पद संभाल चुके हैं. यशपाल तैनिक फिलहाल प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव हैं. लिस्ट में अमित नंदा का नाम भी है. ये प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव रह चुके हैं.
बीजेपी शिमला से किसे उतारेगी?
इस सीट पर बीजेपी से 3 नाम आ रहे हैं. सबसे पहले सुरेश कश्यप का नाम चल रहा है. ये दो बार के सांसद हैं और दो बार के विधायक भी रह चुके हैं. इनका नाम बीजेपी हलक़ों में लिया जा रहा है. पछाड़ क्षेत्र की विधायक रीना कश्यप को भी शिमला से बीजेपी अपना उम्मीदवार बना सकती है. रीना कश्यप दो बार की विधायक हैं. इसके अलावा वीरेंद्र कश्यप को भी टिकट दिया जा सकता है, जो सोलन ज़िले में बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं.
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