Lok Sabha Election TDP all set to return to NDA likely to announce pact with BJP next week
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) दक्षिण भारत में अपने पांव पसारने में जुटी है. इसको लेकर पार्टी आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के साथ गठबंधन करने में लगी है. फिलहाल दोनों दलों में बातचीत जारी है. सूत्रों की मानें तो 20 फरवरी को दोनों दलों के नेताओं के बीच बैठक हो सकती है.
अगर दोनों दलों के बीच बात बन जाती है तो बीजेपी राज्य में 4 से 5 लोकसभा सीटों और 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वहीं, टीडीपी के साथ पहले से गठबंधन में शामिव पवन कल्याण की पार्टी जनसेना चुनाव 2 से 3 लोकसभा और 22 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है. बाकी सीटों पर टीडीपी चुनाव लड़ेगी.
चंद्रबाबू नायडू और अमित शाह की मुलाकात
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नायडू ने अमित शाह को उन परिस्थितियों के बारे में बताया, जिसके कारण उन्हें 2019 चुनाव से पहले एनडीए से अलग होना पड़ा था.
जनसेना को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
जनसेना इस बार अपना खाता खोलने और पिछली बार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है. पार्टी को उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर पिछली बार से बेहतर होगा. गौरतलब है कि पिछले चुनाव में जनसेना को 5.5 प्रतिशत वोट मिला था.
वाईएसआर कांग्रेस के बागी सांसद को टिकट
जानकारी के अनुसार बीजेपी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद रघु राम कृष्ण राजू को नरसापुरम से मैदान में उतार सकती है. वहीं, पार्टी के राज्य प्रमुख डी पुरंदेश्वरी को राजमहेंद्रवरम से, पूर्व मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी को राजमपेट से और वरिष्ठ नेता सत्यकुमार को हिंदूपुर या अनंतपुर से टिकट मिल सकता है.
सूत्रों के मुताबिक जन सेना से एस सतीश के काकीनाडा से और वल्लभनेनी बालाशोवरी के मछलीपट्टनम से चुनाव लड़ने की संभावना है. जन सेना प्रमुख पवन कल्याण के भाई नागा बाबू अनाकापल्ले से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि पूर्व के भीमावरम से विधानसभा के लिए चुनाव लड़ने की संभावना है.
पहले भी साथ चुनाव लड़ चुके हैं दोनों दल
बता दें कि इससे पहले भी दो बार टीडीपी और बीजेपी मिलकर आंध्र प्रदेश में चुनाव लड़ चुकी हैं. पहली बार दोनों दलों ने वाजपेयी युग में साथ चुनाव लड़ा था. उसके बाद 2014 में दोनों दल मिलकर इलेक्शन में उतरे थे. हाालंकि, 2019 में दोनों दल अलग हो गए.
यह भी पढ़ें- जिस सीट पर बिगड़ी दोनों की बात, जयंत चौधरी के खिलाफ उस सीट पर ये क्या बोल गए अखिलेश यादव के उम्मीदवार