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Lok Sabha Election 2024 UP BSP Chief Mayawati Changed 5 District Presidents Of Kanpur In 6 Months ANN


UP Lok Sabha Election 2024: यूपी के सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में कानपुर शामिल है. कानपुर में बीएसपी की स्थिति डांवाडोल नजर आ रही है. पिछले 6 महीनों में बीएसपी ने 5 जिलाध्यक्षों को बदला है. कानपुर लोकसभा सीट पर लगभग 22 लाख मतदाता मताधिकार का प्रयोग करते हैं. बसपा प्रमुख मायावती कानपुर में मजबूत पकड़ नहीं बना पा रही हैं. 6 महीनों में बीएसपी जिलाध्यक्षों का 5 बार फेरबदल कमजोर रणनीति को दर्शाता है. दरअसल नगर निगम चुनाव में करारी हार के बाद कानपुर जिला अध्यक्ष रामेश्वर चौधरी को पिछले साल 2023 जुलाई में बसपा ने हटा दिया था. रामेश्वर चौधरी की जगह पर जयप्रकाश गौतम को नया जिला अध्यक्ष बनाया गया. जयप्रकाश गौतम ने संगठन को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए. इसी बीच अक्टूबर के महीने में जयप्रकाश गौतम की जिला अध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी गयी. जयप्रकाश गौतम की जगह नए जिला अध्यक्ष बीपी अंबेडकर बनाए गए. उन्होंने पदभार संभालते ही संगठन का काम शुरू कर दिया.

कानपुर सीट पर कैसे होगी बसपा की दावेदारी?

3 नवंबर 2023 में बीपी अंबेडकर को भी जिला अध्यक्ष के दायित्व से मुक्त कर दिया गया. बीपी अंबेडकर का कार्यकाल महज 16 दिनों का रहा. बसपा के शीर्ष नेतृत्व ने राम शंकर कुरील पर भरोसा जताया. बीपी अंबेडकर की जगह राम शंकर कुरील ने नए जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. संगठन को चुस्त दुरुस्त करने से पहले राम शंकर कुरील हटा दिए गए. जिला अध्यक्ष के तौर पर राम शंकर कुरील का कार्यकाल मात्र चार महीना का रहा. राम शंकर कुरील के बाद राजकुमार कप्तान कानपुर में बसपा जिला अध्यक्ष बनाए गए.

छह महीनों में पांच बार बदले गए जिलाध्यक्ष

जिला अध्यक्ष के पद पर तैनात कर राजकुमार कप्तान से उम्मीद लगायी गयी की संगठन को मजबूती मिलेगी. 6 माह के अंदर पांच बार जिला अध्यक्षों को बदलने की प्रक्रिया ने बहुजन समाज पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए. एक तरफ बीएसपी कानपुर में अपनी दावेदारी को मजबूत साबित नहीं कर पा रही है, दूसरी तरफ 6 महीनों में पांच जिला अध्यक्षों को बदले जाने की खबर सत्ताधारी बीजेपी को और मजबूत करती दिखाई दे रही है. लोकसभा चुनाव की तारीखों का जल्द ऐलान होने वाला है. बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक किसी भी दावेदार का नाम सामने नहीं किया है. बीएसपी की रणनीति को देखकर कयास लगाया जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कानपुर सीट पर मजबूत दावेदारी नहीं मिल पायेगी. 

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