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लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का मतदान खत्म होते ही एग्जिट पोल्स आ गए हैं. अब तक जितने भी एग्जिट पोल आए हैं, उनमें एनडीए को भारी बहुमत मिलता नजर आ रहा है. वहीं, इंडी गठबंधन के तमाम दावे खोखले साबित होते दिख रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि तमाम कोशिशों और नेताओं के दमखम के बावजूद I.N.D.I.A. गठबंधन कहां-कहां कमजोर रह गया? साथ ही, यह भी समझ लीजिए कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की मेहनत किन-किन राज्यों में कम रह गई?

क्या कहता है एबीपी सी-वोटर का एग्जिट पोल?

एबीपी सी-वोटर के एग्जिट पोल में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा किया गया है. इसमें एनडीए को 375 से 395 सीटें मिलते हुए दिखाया गया है. वहीं, I.N.D.I.A. गठबंधन को 150 से 165 सीटें मिलने का दावा किया गया है. 

वोट शेयर में कैसा रहा I.N.D.I.A. गठबंधन का प्रदर्शन?

एग्जिट पोल की मानें ता I.N.D.I.A. गठबंधन का प्रदर्शन दमदार नहीं रहा है. जनता ने एक बार फिर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर भरोसा नहीं जताया. वोट शेयर की बात करें तो देश के सबसे बड़े सियासी सूबे यानी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का वोट प्रतिशत 36.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. इसका मतलब यह है कि यूपी में I.N.D.I.A. गठबंधन जनता का दिल जीतने में पूरी तरह नाकामयाब रहा. इसके बाद बिहार का रुख करें तो वहां नीतीश कुमार के पलटी मारने के मुद्दे को कांग्रेस गठबंधन भुनाने में सफल नहीं हो पाया. यहां भी कांग्रेस का वोट शेयर 38.6 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके अलावा कांग्रेस गठबंधन को आंध्र प्रदेश में वोट शेयर 3.3 पर्सेंट, पश्चिम बंगाल में 13.2 पर्सेंट वोट शेयर मिलने का अनुमान है. गौर करने वाली बात यह है कि कुछ राज्यों में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ने का दावा भी किया गया है. इनमें महाराष्ट्र (44%), गोवा (46.1%), हरियाणा (45%), जम्मू-कश्मीर (32.8%) और पंजाब (32.7%) आदि शामिल हैं.   

सीटों के हिसाब से कहां कमजोर रहा कांग्रेस गठबंधन?

कुछ राज्यों में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन सीटों के हिसाब से I.N.D.I.A. गठबंधन को ज्यादा फायदा मिलता हुआ नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सहयोगी दलों ने 2019 के दौरान 15 सीटें जीती थीं, जो 2024 के एग्जिट पोल में 17 सीटों पर पहुंचती नजर आ रही है. बिहार में इंडी गठबंधन पांच सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है. यहां 2019 के चुनाव में यूपीए ने 3 सीटें जीती थीं. पीएम मोदी के गढ़ गुजरात में भी I.N.D.I.A. गठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक माना जा रहा है. गठबंधन की झोली में यहां सिर्फ एक सीट जाती नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को सिर्फ 3 सीटें मिलती दिख रही हैं.

नॉर्थ ईस्ट में कैसा हो सकता है हाल?

पूर्वोत्तर राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम में भी I.N.D.I.A. गठबंधन का हाल ज्यादा अच्छा नजर नहीं आ रहा है. असम में यूपीए को 4 सीटें, मणिपुर में एक सीट, मेघालय में एक सीट, नगालैंड में एक सीट मिल रही हैं. वहीं, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा में तो I.N.D.I.A. गठबंधन का खाता खुलता नहीं दिख रहा है. 

दक्षिण में ऐसा रहा I.N.D.I.A. गठबंधन

दक्षिण भारत के राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश में I.N.D.I.A. गठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. यहां इनका खाता नहीं खुलने का दावा किया गया है. हालांकि, तमिलनाडु में 39 सीटें, केरल में 19 सीटें, तेलंगाना में 9 सीटें और कर्नाटक में 5 सीटें I.N.D.I.A. गठबंधन की झोली में जाती नजर आ रही हैं.

पश्चिम भारत में कैसी रही बाजी?

पश्चिम भारत की बात करें तो महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की झोली में 25 सीटें जाने का दावा किया गया है. वहीं, गोवा और गुजरात में I.N.D.I.A. गठबंधन एक-एक सीट जीत सकता है, जबकि दादरा नगर हवेली और दमन दीव में गठबंधन की झोली खाली रह सकती है.

पूर्वी भारत में दिखा सिर्फ इतना दम

पूर्वी भारत के राज्यों में भी कांग्रेस गठबंधन की स्थिति दमदार नहीं दिख रही है. पश्चिम बंगाल में गठबंधन को 3 सीटें, ओडिशा में 2 सीटें, बिहार में 5 सीटें और झारखंड में 3 सीटें मिलती नजर आ रही हैं.

उत्तर भारत में भी बुरा हाल

उत्तर भारत की बात करें तो कांग्रेस गठबंधन को जम्मू-कश्मीर में 2, पंजाब में 8, हरियाणा में 6, राजस्थान में 4 और उत्तर प्रदेश में 17 सीटें मिलती दिख रही हैं. अहम बात यह है कि हिमाचल प्रदेश में सरकार होने के बाद भी कांग्रेस की झोली में सिर्फ एक सीट जाती नजर आ रही है.

(एबीपी सी वोटर एग्जिट पोल सर्वे 19 अप्रैल से 1 जून 2024 के बीच किया गया है. इसका सैंपल साइज 4 लाख 31 हजार 182 है और ये सर्वे सभी 543 लोकसभा सीटों पर किया गया, जिनमें 4129 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं. एबीपी सी वोटर सर्वे का राज्य स्तर पर मार्जिन ऑफ एरर + और -3 प्रतिशत और क्षेत्रीय स्तर पर + और  -5 प्रतिशत है.)

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