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Lok Sabha Election 2024 FIR against Samajwadi Party leader for violating code of conduct in Basti ann


Basti Election News: जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे राजनीतिक पार्टिया वोटरों को लुभाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग भी ऐसे नेताओं की मंशा पर पानी फेरने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है. ऐसे ही एक नेता जी को अपनी गांव की महिलाओं को तीर्थ यात्रा कराना महंगा पड़ गया है क्योंकि जिले में आदर्श आचार संहिता लागू है जिसपर एक नेता जी की काली करतूत की जानकारी किसी शख्स ने बस्ती के जिला प्रशासन को दे दी.

इसपर जिला प्रशासन तुरन्त एक्टिव हुआ तो जांच में मामला सही पाया, जिसके बाद नेता जी पर जिला प्रशासन ने चुनाव में आदर्श आचार संहिता तोड़ने का आरोपी पाया है और नेता जी पर चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करने पर नेता जी पर एफआईआर दर्ज हो गई है.

 

दरअसल रुधौली थाना क्षेत्र के रहने वाले सपा नेता धर्मेंद्र चौधरी जो कि पकरी सोयम के प्रधान हैं जिनपर अब चुनाव आयोग अपना हंटर चलाया है और लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच बस्ती के रुधौली थाने में समाजवादी पिछड़ा वर्ग के सचिव धर्मेंद्र चौधरी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज किया गया है. यह एफआईआर एसडीएम भानपुर आशुतोष तिवारी की तहरीर पर दर्ज की गई है.

 

आचार संहिता उल्लंघन का दर्ज हुआ मामला

आपको बता दें कि 20 मार्च को समाजवादी पिछड़ा वर्ग के सचिव और पकरी सोयम के ग्रामप्रधान धर्मेंद्र चौधरी ने अपने गांव की 160 दलित महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए उन्हें लुंबिनी घुमाया. ग्रामप्रधान पर आरोप है कि वह सुविधा का प्रलोभन देकर वोट प्रभावित करने की नीयत से दो प्राइवेट बसों में बैठाकर इन दलित महिलाओं को वहाँ घुमाने ले गए. इस बात की शिकायत किसी ने बस्ती जिला प्रशासन को दे दी. जिसपर त्वरित कार्यवाही करते हुए सहायक रिटर्निंग अफसर व एसडीएम भानपुर आशुतोष तिवारी ने जांच कराई तो मामला सही पाया गया. 

 

जिसके बाद एसडीएम ने रुधौली पुलिस को धर्मेंद्र चौधरी के खिलाफ तहरीर दी जिसके आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है और मामले की पुलिस ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है. जिले में आचार संहिता लागू होने के बाद उल्लंघन का यह पहला केस है. आपको यह भी बता दें कि बस्ती लोकसभा में दलित वोटरों की अच्छी खासी संख्या है यहाँ का दलित समाज किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को सांसद बनाने किंग मेकर की भूमिका निभाते हैं, बस इसी बात को लेकर सभी पार्टियां दलित वोटरों को लुभाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है लेकिन उनके इस मंशा पर चुनाव आयोग पूरी तरीके से पानी फेर दे रहा है.

 



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