Life Insurance Companies Payout Declined By About Rs 6000 Crore During 2022-23 Due To Less Number Of Death Claims
नई दिल्ली:
Life Insurance Payout: कोविड-19 वैश्विक महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में डेथ क्लेम (Death Claim) की कम संख्या के कारण 2022-23 में जीवन बीमा कंपनियों (Life Insurance Companies) द्वारा किए गए भुगतान में करीब 6,000 करोड़ रुपये की कमी आई है. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीएआई (IRDAI) की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने वित्त वर्ष 2021-22 में 5.02 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2022-23 में कुल 4.96 लाख करोड़ रुपये का कुल भुगतान किया.
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2022-23 में डेथ क्लेम का भुगतान 19,000 करोड़ रुपये घटा
कोविड-19 वैश्विक महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2021-22 में इंश्योरेंस कंपनियों ने डेथ क्लेम (Death Claim in Insurance) के रूप में 60,821.86 करोड़ रुपये का भुगतान किया. 2022-23 में यह 19,000 करोड़ रुपये घटकर 41,457 करोड़ रुपये रह गया. सरेंडर/विड्रॉल के कारण 2022-23 में बीमा कंपनियों द्वारा भुगतान किया गया लाभ 25.62 प्रतिशत बढ़कर 1.98 लाख करोड़ हो गया, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सोदारी 56.27 प्रतिशत रही.
जबकि कुल सरेंडर लाभ में से यूलिप (यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं) का लाभ निजी बीमाकर्ताओं के लिए 62.51 प्रतिशत और सार्वजनिक क्षेत्र के जीवन बीमाकर्ताओं के लिए 1.56 प्रतिशत था.
कुल 10.76 लाख डेथ क्लेम में से 10.60 लाख का हुआ भुगतान
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, व्यक्तिगत जीवन बीमा व्यवसाय के मामले में 2022-23 में कुल 10.76 लाख डेथ क्लेम में से जीवन बीमा कंपनियों ने 10.60 लाख डेथ क्लेम का भुगतान किया, जिसकी कुल लाभ राशि 28,611 करोड़ रुपये थी. 1,026 करोड़ रुपये की राशि किसी न किसी वजह से अस्वीकार दावों की संख्या 10,822 थी. 24 करोड़ रुपये की राशि के 4,340 दावे खारिज किए गए.
350 करोड़ रुपये के 833 क्लेम पेंडिंग
वर्ष के अंत में 350 करोड़ रुपये के 833 पेंडिंग क्लेम थे. निजी क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 31 मार्च, 2023 तक 98.52 प्रतिशत रहा, जबकि 31 मार्च, 2022 को यह 98.74 प्रतिशत था. निजी इंश्योरेंस कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 2022-23 में 98.02 प्रतिशत था, जबकि पिछले वर्ष 2021-22 में यह 98.11 प्रतिशत था. उद्योग का कुल सेटलमेंट रेशियो 2021-22 में 98.64 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 98.45 प्रतिशत हो गया.