life imprisonment to 8 policemen including ig in Suraj Custodial Death Case related to gudiya gang rape
Custodial Death Case News: चंडीगढ़ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सूरज कस्टोडियल डेथ मामले में दोषी पाए गए तत्कालीन आईजीपी साउथ रेंज शिमला जहूर एच. जैदी सहित आठ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सजा सुनाई है. सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
मामले में आरोपी तत्कालीन आईजीपी साउथ रेंज शिमला जहूर एच. जैदी, तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक ठियोग, मनोज जोशी, तत्कालीन एसआई/एसएचओ पुलिस स्टेशन कोटखाई राजिंदर सिंह, तत्कालीन एएसआई दीप चंद, तत्कालीन हेड कांस्टेबल मोहाल लाल, तत्कालीन हेड कांस्टेबल सूरज सिंह, तत्कालीन हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद और तत्कालीन कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को सजा सुनाया गया है.
इन धाराओं के तहत सुनाई गई सजा
सीबीआई स्पेशल जज अलका मलिक ने दोषी अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120-बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 330 (अवैध हिरासत में यातना), 348, 218, 195, 196 और 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत सजा सुनाई.
गुड़िया बलात्कार और हत्या मामला
हिमाचल प्रदेश पुलिस की ओर से कोटखाई पुलिस स्टेशन में एक नाबालिग लड़की गुड़िया (काल्पनिक नाम) के साथ बलात्कार और हत्या के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. गुड़िया का शव 6 जुलाई, 2017 को जंगल में मिला था. इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन आईजीपी जहूर एच.जैदी की अध्यक्षता में एक एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन हुआ. एसआईटी ने मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया था.
सूरज की हिरासत में मौत
गिरफ्तार आरोपियों में से एक सूरज को पुलिस हिरासत में यातना दी गई, जिससे उसकी मौत हो गई. पुलिस ने इस हत्या का दोष सूरज के सह-अभियुक्त राजिंदर उर्फ राजू पर मढ़ने के लिए उसके खिलाफ हत्या (धारा 302 IPC) का मामला दर्ज किया. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर मामला सीबीआई को सौंपा गया. सीबीआई ने जांच में पाया कि एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए छह लोग, जिनमें सूरज भी शामिल था, निर्दोष थे. सीबीआई ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि सूरज की हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने साजिश रची थी.
दोषियों के खिलाफ आरोप
पुलिस ने झूठे साक्ष्य गढ़े और निर्दोष लोगों को फंसाया.
सूरज की हत्या पुलिस हिरासत में यातना देकर की गई.
सच्चाई छुपाने के लिए झूठे रिकॉर्ड बनाए गए और सबूत मिटाए गए.
बता दें कि शिमला और बाद में चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया. एलडी ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की जांच और निष्कर्षों को बरकरार रखा.