Kolkata Rape Murder Case Supreme Court CJI DY Chandrachud Appealed To Doctors says Whole Country is Concern about Your Security Believe Us ann
Supreme Court On Kolkata Rape-Murder Case: डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है. कोलकाता के आर.जी. कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने यह कदम उठाया है. कोर्ट ने सीबीआई से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. साथ ही, आर.जी. कर हॉस्पिटल की सुरक्षा का ज़िम्मा भी सीआईएसएफ को सौंप दिया है.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने पूरे मामले में हॉस्पिटल प्रबंधन और राज्य पुलिस के बर्ताव पर गंभीर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल ने शुरू में मामले को आत्महत्या बताया. लड़की का शव परिवार को देरी से सौंपा गया. घटना के अगले दिन रात 11.45 बजे परिवार की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई. पुलिस ने जांच में ढीला रवैया दिखाया. घटनास्थल की सुरक्षा नहीं की गई. हज़ारों उपद्रवियों को वहां घुस कर तोड़फोड़ करने दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट जांच सीबीआई को सौंप चुका है और उसकी निगरानी भी कर रहा है. फिर भी घटना की गंभीरता को देखते हुए वह भी चाहता है कि सीबीआई उसे गुरुवार 22 अगस्त तक जांच की स्टेटस रिपोर्ट दे. राज्य सरकार भी बताए कि 14 अगस्त की रात हज़ारों की भीड़ हॉस्पिटल में कैसे घुस गई. इस घटना को राज्य पुलिस की नाकामी बताते हुए कोर्ट ने कहा कि अब उस हॉस्पिटल की सुरक्षा सीआईएसएफ संभाले.
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से भी की ये अपील
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश भर के डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की. चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों से कहा, “पूरा देश आपकी सुरक्षा की चिंता करता है. हम पर भरोसा करें. मरीजों का नुकसान हो रहा है. वह लंबे इंतजार के बाद अपॉइंटमेंट पाते हैं. इसका रद्द हो जाना सही नहीं.” इसके साथ ही कोर्ट ने देश के 9 वरिष्ठ डॉक्टरों के एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन कर दिया. यह टास्क फोर्स देश भर के हस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा पर सुझाव देगा. NTF 3 हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट देगा. 2 महीने में उसे अंतिम रिपोर्ट देनी होगी.
टास्क फोर्स के सदस्य हैं-
1. सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, नेवी मेडिकल सर्विसेज की महानिदेशक
2. डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी, अध्यक्ष एशियन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी इंस्टीट्यूट, हैदराबाद
3. डॉ. एम श्रीनिवास, निदेशक, एम्स, दिल्ली
4. डॉ प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, NIMHANS, बेंगलुरु
5. डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, कार्यकारी निदेशक, एम्स, जोधपुर
6. डॉ. सौमित्र रावत, चेयरपर्सन, इंस्टीट्यूट ऑफ सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
7. प्रोफेसर अनिता सक्सैना, कुलपति, पंडित बी डी शर्मा मेडिकल यूनिवर्सिटी, रोहतक
8. डॉ. पल्लवी सापले, डीन, ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जेजे ग्रुप ऑफ अस्पताल, मुंबई
9. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, पूर्व प्रोफेसर, न्यूरोलॉजी विभाग, एम्स दिल्ली
10. इसके अलावा कैबिनेट सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव, राष्ट्रीय मेडिकल आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष भी इस टास्क फोर्स का हिस्सा होंगे.
‘अस्पतालों में असुरक्षित माहौल की अनदेखी नहीं की जा सकती’
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को अहम मुद्दा बताते हुए कहा कि वह एक और रेप होने तक इंतज़ार नहीं करेगा. खास तौर पर सरकारी हॉस्पिटल में जिस तरह के असुरक्षित माहौल में महिला कर्मचारी काम कर रही हैं, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को दी हिदायत
कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन उनके लिए सही टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं है, सुरक्षित ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को भी हिदायत दी. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बलप्रयोग न करे. मीडिया में सरकार की आलोचना कर रहे लोगों पर भी बेवजह कार्रवाई न करे.