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Kerala Womans Mother Gets Permission To Go To Yemen To Save Her Daughter From Hanging – केरल निवासी महिला की मां को बेटी को फांसी से बचाने के लिए यमन जाने की अनुमति मिली



न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने केंद्र को 2017 की अपनी उस अधिसूचना में याचिकाकर्ता के लिए ढील देने का निर्देश दिया, जिसके तहत भारतीय पासपोर्ट धारकों के यमन की यात्रा करने पर रोक लगा दी गई थी.

याचिकाकर्ता ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह अपनी बेटी की रिहाई के लिए बातचीत करने के वास्ते अन्य व्यक्ति के साथ अपने जोखिम पर अशांत देश में जाएगी, और इसमें भारत सरकार या संबद्ध राज्य सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.

उच्च न्यायालय, यमन में हत्या के मामले में दोषी करार दी गई निमिषा प्रिया की मां की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने अपनी और तीन अन्य की यमन यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया था ताकि वे एक समझौते तक पहुंचने के लिए मृतक के परिवार से बाचतीत कर सकें.

प्रिया की मां प्रेमा कुमारी के वकील ने एक दिन पहले न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद को बताया था कि यमन के उच्चतम न्यायालय ने उसे मृतक के परिवार को मुआवजे की राशि देकर उनसे क्षमादान प्राप्त कर फांसी की सजा से बचने का अंतिम विकल्प दिया था.

यमन की अदालत ने 13 नवंबर को निमिषा की अपील खारिज कर दी थी और फांसी की सजा को बरकरार रखा था.

प्रिया को तलाल अब्दो माहदी की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था. प्रिया ने माहदी के कब्जे से अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए उसे नशीली दवा वाला इंजेक्शन दिया था, जिससे जुलाई 2017 में उसकी मौत हो गई थी.

याचिका में, अदालत से याचिकाकर्ता, प्रिया की 10 वर्षीय बेटी और परिवार के दो अन्य वयस्क सदस्यों को यमन जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया, ताकि वे मृतक के परिवार के साथ समझौता कर उसे (प्रिया को) बचा सकें.

प्रिया की मां ने अपनी बेटी को बचाने के लिए ‘ब्लड मनी’ पर बातचीत करने को लेकर इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख कर यमन जाने देने की अनुमति मांगी थी, जबकि भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा प्रतिबंध है.

सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने अदालत को बताया कि सरकार ने 26 सितंबर 2017 को एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया है कि भारतीय पासपोर्ट धारक इस हिंसाग्रस्त देश की यात्रा नहीं कर सकते.

अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि अपनी बेटी को फांसी से बचाने की आखिरी कोशिश करने वाली मां के प्रति केंद्र की ओर से इतनी अनिच्छा क्यों होनी चाहिए.

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने अदालत को बताया कि जो दूसरा व्यक्ति प्रिया की मां के साथ यात्रा करेगा, उसके पास यमन का वैध वीजा है और वह 24 साल से अधिक समय से वहां काम कर रहा है.

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे अपने जोखिम पर यात्रा करेंगे.

अदालत ने कहा कि व्यक्ति के हलफनामे में कहा गया है कि वह निमिषा प्रिया की मां के साथ यमन की यात्रा करने के लिए तैयार है ताकि उन्हें संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत करने में मदद मिल सके.

अदालत ने याचिकाकर्ता को यात्रा और वापसी की तारीख बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा और याचिका का निस्तारण कर दिया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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