Kerala Revenue Liquor And Lottery Alcohol State Government BJP Economic Dependence
Liquor And Lottery: बेहतरीन साक्षरता दर की वजह से सुर्खियों में रहने वाला केरल अपनी आय की वजह से भी चर्चा में रहता है. दरअसल, इस राज्य की अर्थव्यवस्था रेमिटेंस, शराब और लॉटरी से ज्यादा संपन्न हो रही है. इसमें भी रेमिटेंस का योगदान करीब 30% है. आसान शब्दों में कहें तो इसके जरिए केरल को 30 प्रतिशत आय मिलती है. इसके बाद केरल की आय का एक बड़ा हिस्सा शराब और लॉटरी की बिक्री से आता है, जो इसके राजस्व का एक चौथाई हिस्सा बन जाता है. यहां आपको बता दें कि रेमिटेंस का मतलब उस आय से है जो विदेश में रहते हैं और यहां भेजते हैं.
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान केरल ने शराब और लॉटरी की बिक्री से 31,618.12 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया जो राज्य की कुल आय का करीब 25.4% है. इसमें से 19,088.86 करोड़ रुपये शराब की बिक्री से आए जबकि लॉटरी टिकट की बिक्री से 12,529.26 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हुआ. ये आंकड़ा यह दर्शाता है कि शराब और लॉटरी राज्य की आय के प्रमुख स्रोत बन गए हैं और केरल की फाइनेंशियल स्थिति को मजबूती देते हैं.
शराब की बिक्री का बढ़ता असर
जानकारी के मुताबिक शराब की बिक्री में वित्त वर्ष 2023-24 में 19,088.68 करोड़ रुपये की आय हुई जो कि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले ज्यादा है. ये बढ़ोतरी राज्य की आर्थिक स्थिति को दर्शाती है और ये दर्शाता है कि शराब राज्य के रेवेन्यू में जरूरी योगदान दे रही है. शराब की बिक्री से होने वाली आय राज्य की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाए रखती है और सरकार को अलग-अलग योजनाओं के लिए फंड देती है.
लॉटरी टिकट की बिक्री से होने वाली आय भी राज्य के राजस्व में अहम योगदान देती है. हालांकि इसमें एक समस्या ये है कि लॉटरी के अनक्लेम्ड पुरस्कारों के बारे में सरकार के पास कोई स्पष्ट आंकड़े नहीं हैं. केंद्रीय लॉटरी नियम 2010 के तहत सरकार को उन लॉटरी पुरस्कारों का रिकॉर्ड बनाए रखने की जरूरत नहीं है जो जीते गए मगर जिनका दावा नहीं किया गया. इस वजह से अनक्लेम्ड पुरस्कारों से जुटाई गई राशि का सही हिसाब नहीं हो पाता है जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है.
बाकी राज्यों के आय के स्रोत
भारत के अलग-अलग राज्यों की आय के स्रोत भी अलग-अलग होते हैं. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कृषि सबसे बड़ा आय स्रोत है जो उनकी कुल आय का करीब 35-40% है. वहीं, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर प्रमुख आय स्रोत हैं जो उनकी कुल आय का लगभग 40-45% हिस्सा बनते हैं. इन राज्यों की आय का बड़ा हिस्सा उद्योगों और सेवा क्षेत्रों से आता है जबकि केरल की आय का बड़ा हिस्सा शराब और लॉटरी जैसे विवादित स्रोतों से आता है.
इतना ही नहीं कुछ राज्यों में पर्यटन एक प्रमुख आय स्रोत है. केरल और गोवा जैसे राज्यों में पर्यटन राज्य के रेवेन्यू का करीब 25-30% हिस्सा है. वहीं झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में खनन एक प्रमुख आय स्रोत है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे राज्यों में हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर एक अहम आय स्रोत है जो उनके विकास में मदद करता है.
गुजरात और केरल का शराब नीति में अंतर
गुजरात राज्य जो कि एक ड्राई स्टेट माना जाता है. इस राज्य में शराब पूरी तरह से प्रतिबंध है. गुजरात में शराब पर बैन होने के कारण राज्य की आय बाकी स्रोतों से आती है जैसे मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस. वहीं केरल में शराब की बिक्री से होने वाली आय राज्य के रेवेन्यू का एक अहम हिस्सा है. ये अंतर अलग-अलग राज्यों की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक नीतियों को दर्शाता है. जहां एक राज्य शराब के खिलाफ है वहीं दूसरे राज्य के लिए शराब एक जरूरी आय स्रोत बन चुका है.
केरल की आर्थिक संरचना और उसकी आय का स्रोत इसे बाकी राज्यों से अलग बनाता है. यहां के लोग विदेशों में जाकर काम करते हैं और रेमिटेंस भेजते हैं जिससे राज्य की आय में बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा शराब और लॉटरी की बिक्री भी राज्य की आय में जरूरी योगदान देती है.