Karnataka HC cancels order child pornography watching child pornography was not offence | हाईकोर्ट ने कर दी कौन सी गलती, जिस पर सुनवाई के दौरान बोला
High Court withdrew its order: कर्नाटक HC ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमे उन्होंने कहा था कि केवल चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना IT अधिनियम के तहत कोई क्राइम नहीं हैं. जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने इस फैसले को वापस ले लिया है. उन्होंने कहा कि पीठ ने आदेश पारित करते समय धारा 67बी को गलत तरीके से पढ़ दिया था.
पीठ ने अपने आगे कहा, ‘हम भी इंसान हैं और हम भी गलती कर सकते हैं. सुधार की हमेशा गुंजाइश रहती है. इसको लेकर जांच की जाएगी और नया आदेश जारी किया जाएगा. इस आदेश को रद्द किया जाता है.
फैसले पर पीठ ने कही ये बात
पीठ ने कहा, ‘राज्य सरकार की तरफ से इसको लेकर याचिका दायर करने के बाद आईटी अधिनियम की धारा 67बी (ए) के तहत आदेश पारित किया गया है. बता दें कि टेक्स्ट या डिजिटल चित्र बनाना, संग्रह करना, सर्च करना, ब्राउज करना, डाउनलोड करना, विज्ञापन बनाना, प्रसारित करना, आदान प्रदान करना या बच्चों को अश्लील, अभद्र तरीके से चित्रित करना अधिनियम की धारा 67बी के अंतर्गत आता है.
आरोपी को मिली थी राहत
हाई कोर्ट ने इससे पहले कहा था, ‘आईटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत केवल चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है. हाईकोर्ट के इस निर्णय से 50 मिनट तक चाइल्ड पोर्नोग्राफी वाली वेबसाइट देखने के आरोपी व्यक्ति को राहत मिल गई थी. याचिकाकर्ता के खिलाफ आईटी अधिनियम की धारा 67बी (बच्चों से संबंधित सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मार्च 2022 में शिकायत हुई थी. याचिकाकर्ता के वकीन ने कहा था कि इस मामले में धारा 67बी लागू नहीं होती है क्योंकि उनके क्लाइंट ने सिर्फ वेबसाइट को देखा है और कुछ भी प्रसारित नहीं किया है.