karnataka congress veerashaiva community seer appealed to siddaramaiah to step down hand over power to shivakumar
श्रीशैल जगदगुरु चन्ना सिद्धर्म पंडितराध्याय स्वामी ने उप मुख्यमंत्री के और पद सृजित करने की स्थिति में वीरशैव-लिंगायत समुदाय के मंत्रियों को देने पर विचार करने की भी मांग की. उन्होंने रेखांकित किया कि कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए उनके समुदाय के मत अहम रहे हैं.
कांग्रेस लिंगायत समुदाय से आने वाले मंत्रियों को दे प्राथमिकता
महंत ने कहा कि कर्नाटक राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम और जो खबरें सामने आ रही हैं, वे चर्चा में हैं. यदि मुख्यमंत्री पद में बदलाव होता है और एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाया जाते हैं तो ऐसी स्थिति में, मैं पार्टी (कांग्रेस) और सरकार से आग्रह करता हूं कि वीरशैव-लिंगायत समुदाय से आने वाले मंत्रियों को प्राथमिकता दी जाए.
सरकार गठन के समय वीरशैव-लिंगायत के वोट निर्णायक थे- महंत
श्रीशैल जगदगुरु चन्ना सिद्धर्म पंडितराध्याय स्वामी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इसका कारण यह है कि सरकार गठन के समय वीरशैव-लिंगायत के वोट निर्णायक थे. इसलिए वीरशैव-लिंगायत मंत्रियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ईश्वर खंड्रे, एम बी पाटिल, एस एस मल्लिकार्जुन जैसे मंत्रियों के नाम पर विचार किया जाना चाहिए. इसके अलावा उनके अनुभव का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. महंत ने कहा कि मेरा आग्रह है कि उन्हें अवसर दिया जाना चाहिए.
विश्व वोक्कालिगा महासमस्तन मठ के महंत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने बीते गुरुवार को बेंगलुरू के संस्थापक केम्पेगौड़ा की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में शिवकुमार के पक्ष में आवाज उठाई थी. दरअसल, कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं. यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय माना जाता है.
वीरशैव-लिंगायत 1-1 डिप्टी सीएम की भी कर रहा माग
चंद्रशेखरनाथ स्वामीजी ने कहा कि प्रदेश में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है. मगर, डी के शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए मेरा अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डी के शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें. हालांकि, यह मांग ऐसे समय आई है जब सिद्धरमैया से वीरशैव-लिंगायत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग की जा रही है.