Karnataka Congress PWD Minister Satish Jarkiholi Will Claim CM Post In 2028 Election | छह महीने में ही कर्नाटक में CM पद को लेकर खींचतान? पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश ने कहा
Karnataka Congress: कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार को बने अभी महज छह महीने ही हुई हैं. मगर अभी से ही अगले विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसकी चर्चा शुरू हो गई है. कर्नाटक सरकार में मंत्री सतीश जारकीहोली ने सोमवार (6 नवंबर) को कहा कि उनका कांग्रेस सरकार के इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री बनने का कोई चांस नहीं है. लेकिन उन्होंने कहा है कि वह अगली बार 2028 में राज्य के इस टॉप पॉजिशन के लिए अपना दावा ठोकेंगे.
सतीश जारकीहोली ने कहा, ‘मेरे पास इस कार्यकाल में कोई मौका नहीं है. मैं इस पोस्ट पर 2028 में दावा करूंगा. बाकी के नेताओं के लिए मैं कहना चाहूंगा कि ये उनकी च्वाइस है कि वो इस पर कब दावा करना चाहते हैं. मेरी कोशिश 2028 के लिए होगी.’ जारकीहोली का ये बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब कांग्रेस की तरफ से पार्टी सदस्यों के लिए एक आदेश जारी किया गया है. इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं और सदस्यों को कहा गया है कि वे अपना मुंह बंद करके रखें.
सीएम सहित नेताओं को बयानबाजी से मना किया गया
आदेश के तहत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम शिवकुमार सहित किसी को भी पार्टी के ऑपरेशन, सरकारी मामलों या ढाई साल के बाद नेतृत्व में संभावित बदलाव के बारे में बयान देने से मना किया गया है. सिद्धारमैया के घर पर रविवार को एक बैठक हुई, जिसमें इस बात पर निर्णय लिया गया. हैरानी वाली बात ये है कि सतीश जारकीहोली इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. जब उनसे बैठक में नदारद रहने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वह बीमार थे.
दलित समुदाय ने ठोका सीएम पद पर दावा
वहीं, सतीश जारकीहोली ने ये भी कहा कि इन दिनों दलित समेत सभी समुदायों की तरफ से मांग की जा रही है कि उनके समुदाय के नेताओं को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया जाए. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस संबंध में आखिरी फैसला कांग्रेस हाई कमांड की तरफ से ही लिया जाएगा. जारकीहोली वाल्किमी (एसटी) समुदाय के नेता हैं. साथ ही वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं.
जब जारकीहोली से पूछा गया कि दलित समुदाय की तरफ से मुख्यंमत्री पद की मांग की जा रही है. इस पर आप क्या कहेंगे, तो मंत्री ने कहा कि इसका फैसला पार्टी को लेना है. इस मुद्दे पर पार्टी का फैसला ही अंतिम फैसला है.
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