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Karnataka CM row Siddaramaiah said Congress high command will take the decision | Karnataka CM Row: इस राज्य में CM बदलने जा रही कांग्रेस? जोरों पर है चर्चा; मुख्यमंत्री बोले


Karnataka CM Row: कर्नाटक के राजनीतिक हलकों में खासकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में राज्य में बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाने या सत्ता-साझाकरण फॉर्मूले के तहत साल के अंत में मुख्यमंत्री बदले जाने की चर्चा जोरों पर है. इसे लेकर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार (17 फरवरी, 2025) को कहा, ‘इस बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है.’

सिद्धरमैया ने नेतृत्व परिवर्तन के बारे में चर्चाओं से जुड़े सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा,’इस बारे में फैसला आलाकमान को करना है.’ उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार जो कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष भी हैं, वो मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को कई मौके पर जाहिर भी किया है.

शिवकुमार को अगला मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं कांग्रेस नेता
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने शिवकुमार को कई बार अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने का प्रयास किया है. मई 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार में कड़ा मुकाबला था. हालांकि, कांग्रेस शिवकुमार को मनाने में सफल रही थी और उन्हें राज्य का उप मुख्यमंत्री बनाया था. 

कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं 
उस समय ऐसे खबरें थीं कि पार्टी में “बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाने” के फॉर्मूले के तहत समझौता हो गया है और शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे. बहरहाल, कांग्रेस ने ऐसी किसी भी खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं की. पार्टी नेताओं का एक वर्ग खासकर सिद्धरमैया के करीबी माने जाने वाले मंत्री, उनसे मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर कांग्रेस को कर्नाटक में अगले चुनाव में अपनी सत्ता बरकरार रखनी है, तो सिद्धरमैया पार्टी के लिए अपरिहार्य हैं.

अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के मंत्रियों के एक वर्ग ने पिछले महीने रात्रिभोज बैठकें की थीं, जिन्हें सिद्धरमैया के पद से हटने की सूरत में किसी दलित या अहिंदा (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए संक्षिप्त कन्नड़ नाम) को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग को पुनर्जीवित करने की कोशिश के रूप में देखा गया था.

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