News

Kanwar Yatra Row Justice Bhatti asks Senior advocate Abhishek Manu Singhvi to not eggagerate


कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली दुकानों पर दुकानदारों के नाम लिखे जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों ने ये आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान जस्टिस एसवीएन भट्टी ने सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर कहा कि बात को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं रखना चाहिए. सिंघवी याचिकाकर्ता तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की तरफ से पेश हुए थे.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि इस तरह के आदेश से छुआछूत को बढ़ावा दिया जा रहा है और इससे दुकानदारों की बिक्री पर भी असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि दुकानकार और स्टाफ का नाम लिखना जरूरी करना एक्सक्लूजन ऑफ आइडेंटिटी है. मामले की सुनवाई जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच कर रही थी. अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर जस्टिस भट्टी ने कहा कि बात को ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर नहीं रखना चाहिए.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दुकानदार का नाम लिखना जरूरी करना आर्थिक बहिष्कार की कोशिश है और छुआछूत को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध कांवड यात्रियों के काम आते रहे हैं. दुकानदारों को शुद्ध शाकाहारी लिखने पर जोर दिया जा सकता है, दुकानदार के नाम पर नहीं. उन्होंने कहा कि यह एक्सक्लूजन ऑफ आइडेंटिटी है. नाम न लिखो तो व्यापार बंद और लिखो तो बिक्री बंद.

अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर जस्टिस भट्टी ने कहा, ‘बात को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं रखना चाहिए. आदेश से पहले यात्रियों की सुरक्षा को भी देखा गया होगा.’ इस मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद, एक्टिविस्ट आकार पटेल और महुआ मोइत्रा ने याचिका दाखिल की है.

यह भी पढ़ें:-
Kanwar Yatra: ‘कांवड़िये क्या चाहते हैं कि फसल उगाने से बनाने वाले तक नॉन-मुस्लिम हों?’, नेमप्लेट विवाद पर जज ने पूछा
 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *