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Justice Shekhar Yadav stands by his statement regarding Muslims written letter to supreme court


Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने मुस्लिमों पर दिए बयान पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है. जिसमें उन्होंने साफतौर पर कहा कि वो अपने बयान पर कायम हैं. उनके बयान से न्यायिक आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. जस्टिस शेखर को वीएचपी के कार्यक्रम में मुस्लिमों को लेकर दिए गए बयान की वदह से चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम के सामने पेश होना पड़ा था. एक महीने बाद अब उन्होंने चिट्ठी लिखकर अपना जवाब दिया है. 

जस्टिस शेखर यादव ने चिट्ठी लिखकर कहा कि उन्होंने जो भाषण दिया था वो उस पर पूरी तरह से कायम हैं. उनकी बात किसी भी तरह के न्यायिक आचरण के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है. उन्होंने दावा किया कि उनके भाषण को कुछ स्वार्थ वाले लोगों ने तोड़ मरोड़कर पेश किया. न्यायपालिका के वे सदस्य जो सार्वजनिक रूप से अपनी बात नहीं रख सकते. उन्हें न्यायिक बिरादरी के वरिष्ठों द्वारा सुरक्षा दी जानी चाहिए. 

अपने बयान पर कायम जस्टिस शेखर
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सूत्रों के मुताबिक जस्टिस शेखर ने पत्र में लिखा कि उनका भाषण संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप सामाजिक मुद्दे पर विचारों की अभिव्यक्ति थी. उसका मतलब किसी समुदाय विशेष के प्रति घृणा फैलाने नहीं था. उन्होंने अपनी की गई टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगी और कहा कि वो अपनी कही गई बातों पर कायम हैं.  

बता दें कि ये मामला 8 दिसंबर का है. जब विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव को आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बात रखते हुए मुस्लिमों को टिप्पणी की थी. उन्होंने समान नागरिक संहिता पर कहा कि इसे हिन्दू वर्सेस मुस्लिम के तौर पर पेश किया गया लेकिन, हिन्दुओं ने कई सुधार किए हैं जबकि मुसलमानों ने नहीं किए. उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि चाहे वो आपका व्यक्तिगत क़ानून हो, हमारा हिन्दू कानून हो या आपका कुरान..हम अपनी प्रथाओं में बुराइयों का समाधान कर चुके हैं. लेकिन आप (मुस्लिम) इन्हें खत्म क्यों नहीं करते. 

जस्टिस शेखर ने आगे कहा कि मुझे ये कहने में गुरेज नहीं है कि हिन्दुस्तान बहुसंख्यकों के अनुसार ही चलेगा. कानून उन्हीं के अनुसार चलता है. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं. उनकी इस बात को लेकर काफी विवाद हो गया था, जिसके बाद इस पर सियासत भी देखने को मिली थी. 

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