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Journey From Jail To Stage: Music Changed The Lives Of Three Prisoners – जेल से मंच तक की यात्रा: संगीत ने बदल दी तीन कैदियों की जिंदगी


जेल से मंच तक की यात्रा: संगीत ने बदल दी तीन कैदियों की जिंदगी

नई दिल्ली:

कुछ साल पहले तक उदयपुर केंद्रीय कारागार में चोरी, धोखाधड़ी और मारपीट जैसे अपराधों के कारण सजा काट रहे तीन कैदियों सुनील मईडा, आशीष शर्मा और शोएब खान के लिए संगीत ‘नया सवेरा’ लेकर आया, जिसने उनके जीवन की दिशा और दशा बदल दी. राजस्थान निवासी मईडा, उत्तर प्रदेश निवासी शर्मा और मध्य प्रदेश के रहने वाले खान ने जेल से निकलने के बाद अपने अतीत को पीछे छोड़कर 2021 में ‘नया सवेरा’ नाम से एक बैंड बनाया और अपने भविष्य को संगीत से संवारने में जुट गए. आज यह बैंड उदयपुर में आयोजित विश्व संगीतोत्सव समेत देशभर में कई समारोहों में प्रस्तुति देकर वाहवाही लूट रहा है.

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खान (21) एक समय चित्तौड़गढ़ के चोरों और गुंडों के गिरोह का हिस्सा था और वह सलाखों के पीछे रहकर कोई बड़ा ‘‘गैंगस्टर” बनने के बारे में सोचा करता था, लेकिन जब उसने गिटार सीखना शुरू किया, तो जिंदगी को लेकर उसका नजरिया ही बदल गया. खान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मौजूदा जीवन और अतीत का जीवन एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत हैं. अब मुझे लगता है कि संगीत मेरे जीवन में हुई सबसे अच्छी चीज है और मैं इस दिशा में सचमुच बहुत अच्छा काम कर सकता हूं. अब लोगों का मुझे देखने का नजरिया बदल गया है. मुझे लगता है कि लोग अब मेरा सम्मान करते हैं.”

मईडा भी जेल में बाहर निकलने के बाद कोई बड़ी आपराधिक घटना को अंजाम देने के लिए अपने साथी कैदियों के साथ मिलकर घंटों योजनाएं बनाया करता था, लेकिन एक दिन उस यह देखकर हैरानी हुई कि जेल के अंदर अन्य कैदियों का एक समूह उदयपुर स्थित गैर सरकारी संगठन ‘शिक्षांतर’ की पहल के तहत विभिन्न प्रकार के संगीत वाद्ययंत्र सीख रहा है. मईडा (24) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘संगीत की धुन मुझे सुकून देती थी और मैंने सोचा कि मुझे भी वहां जाना चाहिए, जहां ये लोग संगीत बजा रहे हैं. मैंने दो दिन उन्हें केवल सुना और देखा. फिर मैंने तबला सीखने का फैसला किया.”

उसने कहा, ‘‘इस बैंड की वजह से हमें नया जीवन मिला. जो लोग हमें निराशा भरी नजरों से देखते थे, उन्हें अब लगता है कि हम कुछ अच्छा कर रहे हैं. अब मैं संगीत के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहता हूं, यही मेरा एकमात्र लक्ष्य है.” मईडा उदयपुर के एक कैफे में शेफ के रूप में भी काम करता है और पिज्जा एवं पास्ता बनाने में माहिर है.

बैंड के तीसरे सदस्य शर्मा (28) के पास एमबीए की डिग्री है. वह भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के आरोप में 2017 में पहली बार जेल गया. इसके बाद 2018 में रिहा होने के बाद उन्हें सशस्त्र हमले के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. दूसरी बार गिरफ्तार होने के बाद उसने पढ़ना और श्रीभगवद्गीता को याद करना शुरू किया. इसके अलावा उसने वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी, फिल्म निर्माण और पियानो बजाना भी सीखा.

शर्मा ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे मैंने गीता को समझना शुरू किया, इसने मुझे शांत कर दिया. मैंने गुस्सा करना बंद कर दिया, अन्यथा पहले मैं बिना सोचे-समझे अपनी पिस्तौल निकाल लेता था. फिर मैंने गीता को अपने संगीत की प्रेरणा बनाया और इसे रैप में बदला, ताकि इसे युवाओं के लिए और अधिक प्रासंगिक बनाया जा सके.” शर्मा ने जेल से बाहर आने के बाद वृत्तचित्र निर्माता और संगीतकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और वह अब उदयपुर में छात्राओं को फोटोग्राफी भी सिखाता है.

इस बैंड ने हाल में एनजीओ ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’ (टीआरआई) की कहानी सुनाने संबंधी पहल ‘विलेज स्क्वायर’ द्वारा नयी दिल्ली में आयोजित ‘विलेज रीनेसन्स कन्सर्ट’ में प्रस्तुति दी. ‘विलेज स्क्वायर’ की प्रबंधक संजना कौशिक ने कहा, ‘‘हम इस संगीत कार्यक्रम के माध्यम से इन प्रतिभाशाली कलाकारों को एक मंच प्रदान करना चाहते थे ताकि वे यह दिखा सकें कि संगीत कैसे जीवन बदल सकता है और कैसे रचनात्मकता और अभिव्यक्ति हर सीमा को पार करके जीवन को नया आकार दे सकती है.”

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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