Jodhpur Lok Sabha Election 2024 Congress RLP Alliance BJP fight became Difficult Gajendra Singh Shekhawat ANN
Jodhpur Lok Sabha Chunav 2024: जोधपुर लोकसभा सीट पर आम चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां अपने उफान पर है. कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी लोगों से उनके पक्ष में अलग-अलग ढग से मतदान करने की अपील करते हुए नजर आ रहे हैं. जोधपुर सीट से गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं. वह यहां से तीसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं.
कांग्रेस ने जोधपुर सीट पर लगातार तीसरी बार प्रत्याशी को बदला है. कांग्रेस के टिकट पर जोधपुर से राजपूत प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा मैदान में है. गजेंद्र सिंह शेखावत इस चुनाव में अपने 10 साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के साथ राम मंदिर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाने के लिए लोगों से अपील करते नजर आ रहे हैं.
जोधपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा, गजेंद्र सिंह शेखावत को बाहरी बता कर उन्हें घेरने का प्रयास कर रहे हैं. प्रचार के दौरान करण सिंह उचियारणा बीजेपी सरकार की नीतियों और विकास कार्य नहीं कराने को लेकर उनकी मुखालिफत करते हुए, कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं.
कौन हैं गजेंद्र सिंह शेखावत?
करण सिंह उचियारणा को गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ प्रत्याशी बनाए जाने के बाद जातिगत समीकरणों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. जोधपुर सीट से दो बार सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का जन्म 1967 में एक राजपूत परिवार में हुआ था. वह छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने वाले नेता माने जाते हैं. गजेंद्र सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत जोधपुर के जय नारायणव्यास विश्वविद्यालय से हुई.
इस दौरान वह एबीवीपी में काफी सक्रिय रहे. उन्होंने 1992 में विश्वविद्यालय स्टूडेंट यूनियन के चुनाव में अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा, जिसमें रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की. इसके बाद वह बीजेपी के किसान मोर्चा के महासचिव बने. राजनीति में कदम रखने से पहले वह आरएसएस के सीमांत लोक संगठन में काफी सक्रिय रहे. लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी कटोच को रिकॉर्ड तोड़ मतों के अंतर से हराकर वह पहली बार सांसद बने.
जोधपुर से दो बार जीत चुके हैं चुनाव
इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने कांग्रेस के वैभव गहलोत को हराया. पिछले चुनाव में गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 लाख 74 हजार वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था. पिछले लोकसभा चुनाव में जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने लड़ा था और उनकी करारी हार हुई थी।. यही वजह है कि पार्टी ने तीसरी बार फिर से शेखावत पर विश्वास जताया है.
कांग्रेस को उम्मीद है कि करण सिंह उचियारड़ा बीजेपी के इस गढ़ को ध्वस्त करके देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी का परचम लहराएंगे. करण सिंह उचियारड़ा को राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट करीबी माना जाता हैं. पिछले कई साल से कांग्रेस में सक्रिय भूमिका में हैं. ऐसे में जोधपुर सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।
क्या है जोधपुर का सियासी समीकरण?
जोधपुर लोकसभा सीट पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की राह जितनी आसान समझी जा रही है, उतनी आसान नजर नहीं आ रही है. पार्टी और संगठन के कई नेता भी गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ विरोध दर्ज करवा चुके हैं. इससे पार्टी को पार्टी के अंदर डैमेज कंट्रोल करने में कामयाबी मिली है. वहीं दूसरी वजह यह है कि कांग्रेस ने स्थानीय राजपूत प्रत्याशी करणसिंह उचियारड़ा को टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया है.
करण सिंह उचियारणा के चुनाव लड़ने इस सीट पर सियासी समीकरण बिगड़ा हुआ नजर आ रहा हैं. कांग्रेस पार्टी ने शेखावत को घेरने के लिए कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. जोधपुर लोकसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला भी है. ऐसे इस सीट से जीत हासिल हासिल करने बीजेपी किलेबंदी कर रही है. इस सीट पर जीत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट और करण सिंह उचियारड़ा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.
स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दा
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का जन्म सीकर महरौली में हुआ था, इसलिए उन्हें बाहरी बताया जा रहा है. करण सिंह उचियारड़ा का ताल्लुक स्थानीय राजपूत परिवार से हैं. शेखावत का विरोधी धड़ा स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठा रहा है. सियासी जानकारों का कहना है कि करण सिंह के नामांकन के दिन जुटी भारी भीड़ ने शेखावत के खेमे में टेंशन बढ़ा दी है. करण सिंह सहित कांग्रेस के सभी नेता शेखावत पर जल मंत्रालय होने के बावजूद पानी की किल्लत का समाधान नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं.
गठबंधन से कांग्रेस को मिलेगा फायदा
जानकारों का कहना है कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जोधपुर संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर जीत मिली थी. पार्टी को 1 लाख 58 हजार वोटों की बढ़त हासिल. कांग्रेस को केवल 26 हजार वोटों की बढ़त के साथ सरदारपुरा सीट पर जीत मिली थी. हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को चार विधानसभा में 90 हजार से अधिक वोट मिले थे. हाल में आरएलपी और कांग्रेस में गठबंधन हुआ है, इससे कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है.
जोधपुर सीट पर इन जातियों की भूमिका है अहम
जोधपुर लोकसभा सीट के जातिगत आंकड़ों के मुताबिक, यह राजपूत बाहुल्य सीट मानी जाती है. जिसमें बिश्नोई, जाट, मुस्लिम, ब्राह्मण, मूल ओबीसी समाज और एससी-एसटी के वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका है. एससी एसटी वर्ग के कुल चार लाख से अधिक मतदाता हैं. मेघवाल के अलावा गवारिया, डोली शास्त्री, बिश्नोई और माली के अलावा शेष मूल ओबीसी जातियां कुल चार लाख से अधिक हैं. जिसमें दर्जी, वैष्णव और अन्य जातियां निर्णायक भूमिका में है.
राजपूत 4 लाख 50 हजार
मुस्लिम 2 लाख 90 हजार
विश्नोई 1 लाख 80 हजार
ब्राह्मण 1 लाख 40 हजार
मेघवाल 1 लाख 40 हजार
जाट 1 लाख 30 हजार
माली 1 लाख 20 हजार
वैश्य समाज 1 लाख 10 हजार
मेघवाल के अलावा एससी एसटी वर्ग के कुल चार लाख से अधिक मतदाता हैं.
मूल 80 हजार
वाल्मीकि 80 हजार
खटीक 30 हजार
अन्य बिश्नोई और माली के अलावा शेष मूल ओबीसी जातियां कुल चार लाख से अधिक हैं.
कुमार 70 हजार
रावणा राजपूत 60 हजार
सुथार 60 हजार
चारण 40 हजार
सैन 40 हजार
पटेल 40 हजार
घांची 30 हजार
देवासी 30 हजार