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Jodhpur 112 year old clock tower will change roof top restaurant and 600 shops appearance ann


Jodhpur News: राजस्थान के दूसरे बड़े जिले जोधपुर के 112 साल पुराने पुराने बाजार घंटाघर की तस्वीर बदलने वाली है. इसको लेकर डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है. केंद्र सरकार की सहायता से इस प्रोजेक्ट पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

जिससे रूफटॉप रेस्टोरेंट से लेकर हेरिटेज मार्केट तैयार किया जाएगा. इतना ही नहीं यहां पहले से मौजूद 600 दुकानों को दोबारा डेवलप कर इनका रंग एक जैसा किया जाएगा.जोधपुर शहर के नगर निगम उत्तर की ओर से केंद्र सरकार की स्वदेशी दर्शन योजना के तहत इसे डेवलप करने का प्लान तैयार किया गया है.

जोधपुर शहर विधायक अतुल भंसाली ने बताया कि प्राचीन घंटाघर बाजार अपनी बनावट व खूबसूरती के लिए दुनिया के मानचित्र पर फेमस है. देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट यहां बने बाजार में खरीदारी के लिए आते हैं. यहां बने क्लॉक टावर को देखने आते हैं. वर्तमान में यहां जगह जगह ठेलों व अन्य तरीकों से अतिक्रमण हो रखा है. साथ में दुकानों का स्ट्रक्चर भी काफी बेतरतीब है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले इन दुकानों का सुधार किया जाएगा.

घंटाघर में मौजूद सभी दुकानों के बाहर लगे शेड्स को हटाकर एक जैसी डिजाइन बनाएंगे. इसके साथ हर दुकान पर नाम लिखे जाएंगे. दुकानों के बाहर फुटपाथ बनेगा ताकि यहां खरीदारी करने आने वाले टूरिस्ट इस पर आसानी से पैदल चल सके. उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी.

रूफटॉप रेस्टोरेंट बनेंगे दुकानों की छतों पर
विधायक अतुल भंसाली बोले इस प्रोजेक्ट के जरिए घंटाघर के चारों तरफ छतरियां बनी हुई है. अभी पूर्ण मार्केट इसी स्ट्रक्चर पर बना हुआ है. ऐसे में इन दुकानों के ऊपर फाइन डाइन रूफटॉप रेस्टोरेंट बनेंगा. यहां टेबल लगाई जाएगी वही शाम को स्ट्रीट फूड मार्केट भी लगाया जाएगा. जहां जोधपुर शहर के प्रमुख जायके का स्वाद मिलेगा. शाम को यहां पर लाइट एंड साउंड शो का भी इंतजाम किया जाएगा. जोधपुर आने वाले पर्यटक एक दिन से ज्यादा नहीं रुकते हैं. पर्यटकों के नाइट स्टे व 2 से 3 दिन के स्टे को देखते हुए. घंटाघर का डेवलपमेंट किया जा रहा है. जिससे पर्यटकों के आने से घंटाघर का बाजार गुलजार रहेगा.

50 आर्टिस्ट कार्ट लगेगी घंटाघर को हेरिटेज लुक देंगे
विधायक अतुल भंसाली घंटाघर के इस पूरे बाजार को हेरिटेज लुक दिया जाएगा इसका नक्शा भी बनकर तैयार हो चुका है. जोधपुर के लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए. यहां 50 आर्टिस्ट कार्ड भी लगेगी. यहां ट्रेडिशनल हैंडीक्राफ्ट बन्देज के आइटम मोजड़ी समेत कई प्रोजेक्ट की स्टाल लगेगी. यह बाजार शाम 6:00 बजे से रात 12:00 बजे तक खुला रहेगा. आधी दुकान के छत पर रूफटॉप रेस्टोरेंट और आधे पर बाजार डेवलप किया जाएगा. यहां एग्जिबिशन सेंटर भी डेवलप किया जाएगा. इसके अलावा यहां विंटेज कारों की भी एग्जीबिशन लगेगी. छत तक जाने के लिए लिफ्ट और एस्केलेटर भी लगाई जाएगी. इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए चार्जिंग स्टेशन भी बनेगा.

यहां आने वाले लोग होते हैं वर्तमान में परेशान
जोधपुर शहर का प्राचीन बाजार घंटाघर वर्तमान समय में दुकानदारों ने अपनी मनमर्जी से अतिक्रमण कर रखा है. यहां पैदल चलने वालों के लिए भी जगह नहीं है. इसके अलावा पार्किंग के लिए भी समस्या बनी रहती है. ऐसे में इन्हीं समस्याओं को देखते हुए. इस पूरे प्रोजेक्ट को तैयार किया जा रहा है. जहां बाजार से लेकर वाहन पार्किंग तक व्यवस्था होगी.

अलग-अलग तीन डीपीआर तैयार
जोधपुर नगर निगम उत्तर महापौर कुंती देवड़ा ने बताया कि स्वदेशी दर्शन के तहत तीन डीपीआर पर काम चल रहा है. इसमें पहले डीपीआर घंटाघर की डेवलपमेंट को लेकर तैयार की गई है. वहीं दूसरी डीपीआर भीतरी शहर की गलियों और तीसरी डीपीआर शहर की बावड़ियों को लेकर बनाई गई है. इनमें से घंटाघर की डीपीआर को जिला स्तरीय समिति की ओर से स्वीकृत कर दिया गया है. अब इसे राज्य सरकार को भेजा है. वहां से स्वीकृत होने के बाद यह डीपीआर केंद्र सरकार के पास भेजी जाएगी.

घड़ी को लगाने की लागत उसे समय आई थी तीन लाख रुपये 
जोधपुर शहर के सबसे व्यस्ततम बाजार के बीच स्थित प्राचीन बाजार घंटाघर यानि क्लॉक टावर देसी विदेशी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण केंद्र बना हुआ है. 1910 में घंटाघर का निर्माण महाराज सरदार सिंह ने शुरू करवाया था. 1912 में यह निर्माण पूर्ण रूप से बनकर तैयार हुआ 100 फीट ऊंचा यह घंटाघर तीन मंजिला है. तीसरी मंजिल पर 6 फीट की घड़ी लगी है. जो लोहे के दो बड़ी घाटरो पर टिकी हुई है. इस घड़ी को लगाने की लागत उसे समय तीन लाख रुपये आई थी.

घड़ी की कंपनी को एक लाख रुपये सिर्फ इसलिए दिए थे कि ऐसी कोई और घड़ी ना बने. घड़ी को 1911 में मुंबई की कंपनी लुंड एंडब्लोकली ने बनाया था. ऐसी घड़ी सिर्फ लंदन के क्लॉक टावर पर ही लगी हुई है. यह घड़ी आम गाड़ियों की तरह नहीं चलती सत्ता में एक बार इसलिए चाबी भरी जाती है.

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