Jamiat Ulama e Hind challenged Waqf Amendment Act in Supreme Court Maulana Madani said Stabbed in back by friend | जमीयत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन कानून सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, मौलाना मदनी बोले
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस समेत कई मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी रविवार (6 अप्रैल,2025) को ऐलान किया कि वो भी सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देगी.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर यह बिल कानून बन गया तो हम इसे देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती देंगे. इसलिए राष्ट्रपति महोदया की मुहर लगते ही जमीयत उलमा-ए-हिंद ने आज इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर दी है.
‘मुसलमानों की आजादी छीनने की साजिश’
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, क्योंकि यह भारतीय संविधान पर सीधा हमला है. संविधान न सिर्फ सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, बल्कि पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है. यह बिल मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की साजिश है, जो पूरी तरह संविधान के खिलाफ है.
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी इस कानून के खिलाफ संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करेंगी. मौलाना मदनी ने कहा कि न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है कि जैसे अन्य मामलों में न्याय हुआ, वैसे ही इस संवेदनशील और असंवैधानिक कानून पर भी हमे न्याय मिलेगा.
नीतीश-नायडू-जयंत-चिराग पर क्या बोले मौलाना मदनी?
मौलाना मदनी ने तथाकथित सेक्युलर दलों की आलोचना करते हुए कहा कि हमने इस कानून को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए, संविधान रक्षा सम्मेलनों का आयोजन किया ताकि उन लोगों के ज़मीर को जगाया जा सके जिन्होंने सत्ता की लालच में संविधान की मूल आत्मा को ही भुला दिया. लेकिन अफसोस वही हुआ जिसका डर था खुद को सेक्युलर कहने वाली पार्टियों ने न सिर्फ मुसलमानों के हितों का सौदा किया, बल्कि संविधान को भी अपने पैरों तले कुचल डाला और अपने असली चेहरे को पूरे देश के सामने उजागर कर दिया.
मौलाना मदनी ने कहा कि इन नेताओं का व्यवहार सांप्रदायिक ताकतों से भी ज़्यादा खतरनाक है, क्योंकि इन्होंने दोस्त बनकर पीठ में छूरा घोंपा है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि सेक्युलर जनता और खासकर मुसलमान इन्हें कभी माफ नहीं करेंगे.
विपक्षी दलों का अदा किया शुक्रिया
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने उन सभी सेक्युलर सांसदों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने देर रात तक संसद में डटे रहे और इस कानून के संभावित दुष्परिणामों को अपने भाषणों के ज़रिए उजागर किया. साथ ही उन्होंने उन न्यायप्रिय नागरिकों का भी आभार प्रकट किया जो संसद के बाहर इस कानून के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते रहे.
मौलाना मदनी ने दोहराया कि यह कानून केवल धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता और उसके मार्गदर्शक सिद्धांतों के विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि यह कानून मुसलमानों की भलाई के नाम पर लाया गया है, लेकिन वास्तव में यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है.
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