Jamaat-e-Islami Hind vice president says Selectively targeting Muslim universities is worrying ANN
Jamaat E Islami On Muslim Universities: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने बीजेपी शासित राज्य सरकारों पर मुस्लिम स्वामित्व वाले विश्वविद्यालयों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. गुरुवार (25 फरवरी, 2025) को जारी बयान में उन्होंने कहा, ‘ देश भर में बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों की ओर से संचालित शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाकर की गई गिरफ्तारियों और कानूनी कार्रवाइयों की घटनाओं पर हमें गंभीर चिंता है.’
उन्होंने कहा, ‘असम में यूएसटीएम के चांसलर महबूब-उल-हक की मध्य रात्रि में गिरफ्तारी से लेकर राजस्थान में मौलाना आजाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष के उत्पीड़न, ग्लोकल विश्वविद्यालय की संपत्तियों की कुर्की और उत्तर प्रदेश में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय पर लगातार कार्रवाई, मुस्लिम स्वामित्व वाले उच्च शैक्षिक केंद्रों को चुनिंदा रूप से निशाना बनाने का एक पैटर्न प्रतीत होता है. ऐसा प्रतीत होता है कि शैक्षिक प्रगति को दबाने के लिए इन संस्थानों को जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है.’
कार्रवाई पर रोक की मांग
जमाअत के उपाध्यक्ष ने अपने बयान में कार्यवाई पर रोक की मांग के साथ ही कहा, ‘हमारा मानना है कि इस तरह की कार्रवाइयों से न केवल इन विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा धूमिल होती है, बल्कि अकादमिक उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत हजारों छात्रों और संकाय सदस्यों का भविष्य भी खतरे में पड़ता है. इन विश्वविद्यालयों को मान्यता प्राप्त शैक्षणिक उपलब्धियों के बावजूद निशाना बनाया जाना देश में उनके शिक्षा और समान अवसर के मूल अधिकार के लिए खतरा है. जिस देश में वर्ग, जाति और पंथ की परवाह किए बिना सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है, वहां विश्वविद्यालयों के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई एक संवैधानिक लोकतंत्र के रूप में हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती है.’
भारत में शिक्षा के भविष्य पर उठाए सवाल
जमात की तरफ से उपाध्यक्ष मालिक मोहतासिम खान ने कहा है कि, ‘ यदि NAAC-मान्यता प्राप्त ‘ए’ ग्रेड विश्वविद्यालय राजनीतिक अवसरवाद और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह का शिकार बनते जा रहे हैं, तो भारत में उच्च शिक्षा का भविष्य गंभीर संकट में है. शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनने और विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर खोलने के लिए आमंत्रित करने की हमारी कोशिश को गंभीर रुकावट तय है।हम मुस्लिम स्वामित्व वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को इस तरह से निशाना बनाने की कार्रवाई को रोकने की मांग करते हैं और उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें इस तरह की सांप्रदायिक और वोट बैंक की राजनीति करने से बचेंगी, क्योंकि इससे हजारों छात्रों के शैक्षिक हितों के लिए खतरा बन रहा है.’
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