Jaishankar Cautioned The International Community Against Commenting On Indias Internal Issues – जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के आंतरिक विषयों पर टीका-टिप्पणी करने के प्रति आगाह किया
अहमदाबाद:
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के आंतरिक विषयों पर अवांछित राजनीतिक टीका-टिप्पणी करने के खिलाफ आगाह किया और कहा कि इस तरह के किसी भी हस्तक्षेप को ‘‘सख्त जवाब” मिलेगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारी के सिलसिले में अमेरिका, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों के हालिया बयानों के मद्देनजर जयशंकर की यह टिप्पणी आई है. भारत ने इन बयानों का कड़ा विरोध किया है.
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जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसी ने संयुक्त राष्ट्र के एक व्यक्ति से (केजरीवाल की गिरफ्तारी के बारे में) पूछा, और उन्होंने कुछ जवाब दिया, लेकिन अन्य मामलों में, मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहूंगा कि ये पुरानी आदतें हैं, ये बुरी आदतें हैं.” मंत्री ने राष्ट्रों की संप्रभुता का सम्मान करने और एक-दूसरे के घरेलू मामलों में दखल देने से दूर रहने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘देशों के बीच एक खास मर्यादा है. हम संप्रभु देश हैं, हमें एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, हमें एक दूसरे की राजनीति के बारे में टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.”
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम विश्व के सभी देशों से आग्रह करते हैं कि दुनिया के बारे में आपके अपने विचार हैं, लेकिन किसी भी देश को खासकर ऐसी स्थितियों में दूसरे देश की राजनीति पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है.” विदेश मंत्रालय ने दिल्ली के गिरफ्तार मुख्यमंत्री के लिए निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया के अमेरिकी विदेश विभाग के आह्वान के विरोध में पिछले सप्ताह अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक को तलब किया था. इसी तरह का विरोध जर्मनी के समक्ष भी दर्ज कराया गया.
मंत्रालय ने एक कड़ा बयान जारी कर कहा कि कूटनीति में विभिन्न देशों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है. उसने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक देशों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है. अन्यथा यह एक खराब उदाहरण स्थापित कर सकता है.”
जयशंकर ने यहां मीडिया के साथ बातचीत में, अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों के नाम बदलने के चीन के प्रयासों की भी निंदा करते हुए इसे अतार्किक करार दिया और एक बार फिर से कहा कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का एक अभिन्न हिस्सा है. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों के लिए नये नामों की चौथी सूची जारी करने के जवाब में, जयशंकर ने इस क्षेत्र पर भारत के रुख को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अरुणाचल प्रदेश, भारत का हिस्सा था, है, और हमेशा रहेगा. मुझे आशा है कि मैं इसे इतनी स्पष्टता से कह रहा हूं कि न केवल देश में बल्कि देश के बाहर भी लोगों को यह संदेश बहुत स्पष्ट रूप से मिल जाएगा.”
इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने की चीन की कोशिशों को मंगलवार को दृढ़ता से खारिज करते हुए कहा कि ‘‘मनगढ़ंत नाम” रखने से यह वास्तविकता बदल नहीं जाएगी कि यह राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा ‘‘है, रहा है और हमेशा रहेगा.” अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करने की चीन की हालिया कोशिशों के बीच बीजिंग ने भारतीय राज्य में विभिन्न स्थानों के 30 नये नामों की चौथी सूची जारी की है.
जयशंकर ने कच्चातिवु द्वीप के मुद्दे पर कहा कि उन्हें लोगों द्वारा उनके इन बयानों का विरोध किये जाने से कोई आपत्ति नहीं है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने द्वीप को कोई महत्व नहीं दिया तथा श्रीलंका के साथ मछली पकड़ने के अधिकार पर बातचीत के संबंध में कानूनी राय की अवहेलना की गई.