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Jagdeep Dhankhar inaugurates prerna sthal congress angry over shifting of mahatma gandhi baba saheb statues | संसद परिसर में गांधी-बाबा साहेब की मूर्तियों की शिफ्टिंग पर भड़की कांग्रेस, बीजेपी बोली


Congress On Prerna Sthal: राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार (16 जून) को संसद परिसर में प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया, जहां अब राष्ट्रीय प्रतीकों और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जो पहले परिसर में विभिन्न स्थानों पर थीं.

कांग्रेस ने इसे लेकर दावा किया कि संसद परिसर के भीतर स्थित मूर्तियों को स्थानांतरित करने का निर्णय सरकार की ओर से एकतरफा लिया गया और इसका एकमात्र उद्देश्य लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थल रहीं महात्मा गांधी और बीआर आंबेडकर की मूर्तियों को संसद भवन के ठीक बगल में नहीं रखना है.

विपक्षी पार्टी का यह हमला उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की ओर से प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने से पहले आया है. प्रेरणा स्थल में स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य नेताओं की सभी मूर्तियां रखी जाएंगी, जिन्हें पहले संसद परिसर में विभिन्न स्थानों पर रखा गया था.

कांग्रेस ने जहां मूर्तियों को उनके मौजूदा स्थान से हटाने के निर्णय की आलोचना की है, वहीं लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि विभिन्न स्थानों पर उनकी स्थापना के कारण आगंतुकों के लिए उन्हें ठीक से देखना मुश्किल हो रहा है.

मनमाने ढंग से हटाए गए मूर्ति- खरगे

संसद परिसर में प्रेरणा स्थल के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर समेत कई महान नेताओं की मूर्तियों को उनके प्रमुख स्थानों से हटाकर एक अलग कोने में स्थापित कर दिया गया है. बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है.”

उन्होंने कहा, “डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा भी एक सुविधाजनक स्थान पर रखी गई थी, जो यह शक्तिशाली संदेश देती है कि बाबासाहेब सांसदों की पीढ़ियों को भारत के संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों को दृढ़ता से बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.”

जयराम रमेश आपत्ति जताई

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, चित्र और प्रतिमाओं पर संसद की समिति की आखिरी बैठक 18 दिसंबर, 2018 को हुई थी और 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान इसका पुनर्गठन भी नहीं किया गया, जो पहली बार उपसभापति के संवैधानिक पद के बिना काम कर रही थी.

उन्होंने कहा, “आज संसद परिसर में मूर्तियों के बड़े पुनर्संयोजन का उद्घाटन किया जा रहा है. स्पष्ट रूप से यह सत्तारूढ़ सरकार द्वारा एकतरफा लिया गया निर्णय है.”

रमेश ने एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं को संसद भवन के ठीक बगल में स्थापित न करना है – जो शांतिपूर्ण, वैध और लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थल हैं. महात्मा गांधी की प्रतिमा को न केवल एक बार बल्कि दो बार हटाया गया है.”

रमेश ने कहा कि संसद परिसर में आंबेडकर जयंती समारोह का उतना बड़ा और उतना महत्व नहीं होगा, क्योंकि अब उनकी प्रतिमा वहां विशिष्ट स्थान पर नहीं है.

किसी भी प्रतिमा को हटाया नहीं गया- ओम बिरला

बीजेपी सांसद ओम बिरला ने एक्स पर प्रेरणा स्थल तस्वीरें शेयर कर कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा, “देश के महान नेताओं, क्रांतिकारियों तथा समाज में धार्मिक–आध्यात्मिक पुनर्जागरण के अग्रदूत इन विभूतियों की यह प्रतिमाएं पूर्व में संसद भवन परिसर में विभिन्न स्थानों पर स्थापित थीं. किसी भी प्रतिमा को हटाया नहीं गया है, बल्कि सभी को ससम्मान प्रेरणा स्थल पर पुनर्स्थापित किया गया है.

लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि प्रेरणा स्थल का निर्माण इसलिए किया गया है, ताकि संसद भवन परिसर में आने वाले गणमान्य व्यक्ति और अन्य आगंतुक एक ही स्थान पर इन प्रतिमाओं को आसानी से देख सकें और उन पर श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें. उन्होंने कहा, “इन महान भारतीयों की जीवन गाथाओं और संदेशों को नई प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगंतुकों तक पहुंचाने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है.”

कांग्रेस ने दावा किया है कि महात्मा गांधी, बीआर आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी सहित अन्य की मूर्तियों को स्थानांतरित करने के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना है कि वे किसी प्रमुख स्थान पर न हों, जहां सांसद शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन कर सकें.

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