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Jagan Reddy Cancels Tirumala Visit Attacks Chandrababu Naidu Amid Religious Controversy


Jagan Reddy Tirupati Visit Row: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने 28 सितंबर को तिरुमाला मंदिर की अपनी तय यात्रा रद्द कर दी है. यह कदम सुरक्षा चिंताओं और विपक्षी नेताओं की ओर से ‘आस्था की घोषणा’ की मांग के बीच उठाया गया.  टीडीपी, भाजपा और जन सेना ने रेड्डी पर आरोप लगाया कि चूंकि वे ईसाई धर्म में आस्था रखते हैं, इसलिए उन्हें मंदिर में प्रवेश से पहले अपनी धार्मिक आस्था घोषित करनी चाहिए.

जगन रेड्डी ने इस पूरे विवाद के बीच अपने विरोधियों, खासकर टीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर तीखा हमला करते हुए राज्य में “राक्षसों का शासन” होने की बात कही है. तिरुपति मंदिर के लड्डू में कथित तौर पर एनमिल फैट के इस्तेमाल का दावा किया था. इस विवाद के सामने आने के बाद पहली बार जगन मोहन रेड्डी तिरुपति मंदिर जाने वाले थे.

‘मैं बाइबल पढ़ता हूं लेकिन…’

जगन मोहन रेड्डी ने कहा, “मैंने कभी नहीं देखा कि किसी राजनीतिक दल ने मंदिर जाने में बाधा डाली हो. मेरी जाति और धर्म को लेकर बार-बार सवाल उठाए गए हैं. मैं घर पर बाइबिल पढ़ता हूं, लेकिन हिंदू, इस्लाम और सिख धर्म का भी सम्मान करता हूं. मेरा धर्म मानवता है. अगर मुख्यमंत्री के बराबर के व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है, तो दलितों के साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा?”

यह पहली बार नहीं है जब जगन मोहन रेड्डी के धर्म को लेकर विवाद हुआ है. उनके राजनीतिक विरोधी अक्सर उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ साबित करने की कोशिश करते हैं. रेड्डी ने इससे पहले भी खुले तौर पर स्वीकार किया है कि वे ईसाई धर्म का पालन करते हैं और बाइबिल पढ़ते हैं. मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रेड्डी को लगातार इस मुद्दे पर निशाना बनाया गया है. उन पर राज्य में मंदिरों के अपवित्रीकरण और धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोप भी विपक्षी दल लगाते रहे हैं.

घोषणापत्र साइन करने में क्या है गुरेज: बीजेपी नेता

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के सामान्य नियमों के नियम संख्या 136 और 137 के अनुसार, केवल हिंदुओं को तिरुमाला मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जाती है और प्रत्येक गैर-हिंदू को स्वेच्छा से अपने धर्म के बारे में टीटीडी को सूचित करना पड़ता है और गैर-हिंदुओं के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद तिरुमाला मंदिर में प्रवेश पाने की अनुमति मिलती है. G.O. MS NO-311 के अनुसार, गैर-हिंदुओं को दर्शन से पहले वैकुंटम कतार परिसर में आस्था की घोषणा करनी होती है.

भाजपा नेता यामिनी शर्मा सादिनेनी ने जगन मोहन रेड्डी के बयानों को लेकर उनपर निशाना साधा है. वह कहती हैं, “वाईएसआरसीपी अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी अभी भी झूठे बयानों से लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और उनके नेताओं ने पहले ही एक नया नाटक शुरू कर दिया है. अगर वह असल में भगवान वेंकटेश्वर में विश्वास करते हैं तो वह जाकर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और दर्शन कर सकते हैं, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं.”

बीजेपी नेता आगे कहती हैं, “एक तरफ, वह कह रहे हैं कि वह हिंदू हैं लेकिन उनकी पत्नी ईसाई हैं. तो अगर आप एक सच्चे हिंदू हैं तो आपको कौन रोक रहा है और आपको घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से क्या रोक रहा है? दूसरी बात, वाईएसआरसीपी नेताओं ने झूठा दावा किया कि गठबंधन दलों ने जगन मोहन रेड्डी पर हमले की योजना बनाई है जिसके लिए राज्य सरकार और पुलिस ने वाईएसआरसीपी नेताओं को नोटिस दिया है और उन्हें तिरुमाला की उनकी यात्रा के दौरान उनके साथ न जाने के लिए कहा है. यह पूरी तरह से झूठ है.”

क्या है पूरा विवाद?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर आरोप लगाया कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाला घी प्रयोग किया गया था. सीएम चंद्रबाबू नायडू ने जुलाई में आई एक रिपोर्ट का हवाला दिया था जिसमें मंदिर में इस्तेमाल होने वाली घी में मिलावट की बात कही गई है.

घी के इस्तेमाल की एक लैब रिपोर्ट में बीफ टैलो (बीफ से निकाला गया फैट) और लार्ड (सूअर के मांस से निकाला गया फैट) जैसे शब्द शामिल हैं, जिससे हड़कंप मच गया. इस मुद्दे ने राजनीतिक और धार्मिक समुदायों में रोष पैदा कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार, घी में इस्तेमाल होने वाले विदेशी फैट में सोयाबीन, सनफ्लॉवर, कॉटन सीड, और फिश ऑयल पहले नंबर पर हैं. इसके बाद कोकोनट और पाम कर्नेल फैट का नाम है, जबकि तीसरे कॉलम में पॉम ऑयल के साथ-साथ बीफ टैलो और लार्ड का उल्लेख किया गया है. बीफ टैलो गाय या भैंस के मांस से निकाली गई चर्बी को दर्शाता है, जबकि लार्ड सूअर के मांस से निकाली गई चर्बी के लिए है.

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