Jabalpur High Court issues notice on fishermen petition affected by Omkareshwar solar energy project in mp ann
Omkareshwar Solar Power Project: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ओंकारेश्वर सौर ऊर्जा परियोजना से प्रभावित मछुआरों की याचिका पर राज्य सरकार और परियोजना कर्ता रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड को जवाब देने हेतु नोटिस जारी किया है. जज मनिंदर सिंह भाटी ने यह भी आदेश दिया है कि परियोजना के तहत सोलर प्लेट लगाने का कार्य याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा.
ओंकारेश्वर बांध के जलाशय पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना के निर्माण की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कंपनी को दिया है. इस परियोजना के तहत ओमकारेश्वर जलाशय पर सोलर प्लेट्स बिछाई जा रही हैं, जिस कारण जलाशय में मत्स्याखेट कर जीवन यापन कर रहे मछुआरों की जीविका समाप्त हो रही है. परंतु राज्य सरकार द्वारा इन मछुआरों के पुनर्वास की कोई व्यवस्था न देने के कारण मछुआरों द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर में अपने अधिकारों के लिए याचिका दायर की गई है.
ओंकारेश्वर सौर ऊर्जा परियोजना, मछुआरों की याचिका पर सरकार को नोटिस जारी, सोलर प्लेट लगाने का कार्य याचिका के निर्णय पर निर्भर रहेगा #NBA #MadhyaPradesh #omkareswar #ValentinesDay pic.twitter.com/7FbIWNVgyc
— Shaikh Shakeel (@Shaikh0733) February 14, 2024
क्या है याचिका?
ओंकारेश्वर सौर ऊर्जा परियोजना से प्रभावित मछुआरों की “मां सतमाता सैलानी मत्स्योद्योग सहकारी समिति” और “मां काजलरानी विस्थापित आदिवासी मछुआरा सहकारी समिति” द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ओंकारेश्वर जलाशय पर सोलर प्लेट्स बिछाने के कारण उनके सदस्य मछुआरे परिवारों की एकमात्र आजीविका खत्म हो रही है. परियोजना कर्ता द्वारा ओंकारेश्वर सौर ऊर्जा परियोजना के लिए तैयार की गई पर्यावरणीय एवं सामाजिक समाघात आकलन रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि परियोजना बनने से सैकड़ों मछुआरों की आजीविका समाप्त हो जायेगी और इन सभी परिवारों आजीविका फिर से स्थापित करने के लिए इन परिवारों के सदस्यों को परियोजना में स्थाई नौकरी और आर्थिक सहायता दी जाएगी.
परंतु इस विषय में मछुआरों से आज तक कोई बात नहीं की गई है जबकि जलाशय पर सोलर प्लेट बिछाने का कार्य जारी है जिससे मछुआरों को मछली मारना असंभव हो गया है. याचिका में मांग की गई है कि प्रभावित मछुआरों को परियोजना में स्थाई नौकरी दी जाये और भू-अर्जन कानून 2013 के अनुसार पुनर्वास के लाभ दिये जायें. याचिका में यह भी मांग की गई है जब तक सभी मछुआरों को ये लाभ नहीं मिल जाते तब तक उनके क्षेत्र में सोलर प्लेट लगाने का कार्य स्थगित किया जाये.
हाई कोर्ट का याचिका पर आदेश
नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल ने बताया कि 12 फरवरी को हाई कोर्ट की जबलपुर खंडपीठ में जज मनिंदर सिंह भाटी के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार और रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड को नोटिस कर जवाब मांगा है. साथ ही न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि वर्तमान में जलाशय पर सोलर प्लेट्स लगाने की करवाई इस याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी. न्यायालय ने याचिका पर अगली सुनवाई 4 मार्च को तय की है. न्यायालय में मछुआरों का पक्ष अधिवक्ता श्री श्रेयस पंडित द्वारा रखा गया.
हाई कोर्ट का यह आदेश परियोजना कर्ता द्वारा मछुआरों को बिना उनके आजीविका के अधिकार दिये मनमानी पूर्वक सोलर प्लेट लगाकर उनकी आजीविका छीनने पर रोक लगाएगा. यह मछुआरों को आजीविका और पुनर्वास सुनिश्चित करने करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है.
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