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It Is Inauspicious For A Woman To Board A Bus As The First Passenger, Action Will Now Be Taken On The Lashing Of The Commission – बस में महिला का पहली सवारी के रूप में चढ़ना अपशकुन! आयोग की लताड़ पर अब होगी कार्रवाई



महिला आयोग द्वारा किए गए अनुरोध पर ओडिशा के राज्य परिवहन प्राधिकरण (STA) ने शुक्रवार को सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को ऐसी बसों के मालिकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो महिलाओं को बसों में बतौर पहली यात्री सवार नहीं होने देते.

एसटीए ने सभी अधिकारियों को पत्र में लिखा, ”राज्य में नियमित तौर पर बसों की जांच करें और जब भी ऐसे किसी बस मालिक या सहचालक का पता चले जो बस में महिलाओं को पहले यात्री के रूप में सवार नहीं होने देते तो उनके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 192ए के तहत चालान काटें.”

महिला आयोग का परिवहन विभाग को आदेश एक याचिका के निस्तारण पर आया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि बस के कर्मचारी महिला यात्रियों को बतौर पहले यात्री के रूप में सवार होने से रोकते हैं क्योंकि वे इसे अपशगुन मानते हैं.

आयोग ने पाया कि यह अतार्किक और भेदभावपूर्ण प्रथा इस अंधविश्वास से उपजी है कि यदि वाहन में सबसे पहले यात्री के तौर पर कोई महिला सवार होती है तो वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है या दिन में व्यापार में घाटा हो सकता है.

सोनपुर के सामाजिक कार्यकर्ता घासीराम पांडा ने महिला आयोग को अर्जी दी थी जिसमें एक महिला यात्री को कथित रूप से भुवनेश्वर के बारामुंडा बस स्टैंड पर पहली यात्री के तौर पर बस में चढ़ने से रोके जाने का उल्लेख किया गया था.

आयोग ने 26 जुलाई को परिवहन आयुक्त सह अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को लिखे पत्र में कहा, ”इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हमारी जानकारी में आई हैं. इसलिए, महिला यात्रियों को भविष्य में होने वाली असुविधाओं से बचाने और उनकी रक्षा एवं गरिमा की सुरक्षा के लिए आयोग आप से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता है कि महिलाओं को सरकारी और निजी दोनों बसों में पहले यात्री के रूप में सवार होने दिया जाए. शीघ्र कार्रवाई करते हुए ओएससीडब्ल्यू को सूचित किया जाए.”

आयोग ने साथ ही परिवहन विभाग को बसों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का सुझाव दिया है.

अधिकारी ने कहा, ”परिवहन विभाग, बस मालिकों से अपने कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए निर्देश देगा. बसों में महिलाओं के साथ भेदभाव गलत है. उन्हें पहली प्राथमिकता मिलनी चाहिए.”

ओडिशा प्राइवेट बस ऑनर्स एसोसिएशन के सचिव देबेंद्र साहू ने कहा, ”हम महिलाओं को माता लक्ष्मी और काली का रूप मानते हैं. महिलाएं भगवती देवी को दर्शाती हैं. इसलिए महिलाओं से इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.”

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