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IT रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ी पर TAX देने वालों की घटी, फिर कैसे बढ़ गई सरकार की कमाई? जानें



<p style="text-align: justify;">देशभर में मौजूदा वित्तीय वर्ष में 8 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया लेकिन आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में टैक्स देने वालों की संख्या करीब 70 लाख घट गई है. यानी इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या भले ही बढ़ी हो लेकिन असल मायने में जो लोग टैक्स दे रहे हैं. उनकी संख्या 2019-20 के मुकाबले 2024-25 वित्तीय वर्ष में कम हुई है. हालांकि, इस सबके बीच सरकार की आयकर से कमाई भी लगातार बढ़ती हुई नज़र आयी है.</p>
<p style="text-align: justify;">लोकसभा में वित्त मंत्रालय से सवाल पूछा गया था कि पिछले 5 वर्षों के दौरान देश में आयकर रिटर्न भरने वालों की कितनी संख्या रही है और यह संख्या पिछले 5 साल के दौरान कितनी थी? साथ ही सवाल ये भी पूछा गया कि आयकर रिटर्न भरने वालों में से कितने लोग ऐसे हैं जो आयकर देते हैं. इन सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय ने जो आंकड़े दिए हैं वो थोड़ा चौंका सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आंकड़े जारी कर वित्त मंत्रालय ने दी जानकारी</strong><br />वित्त मंत्रालय ने अपने आंकड़े में बताया, ‘साल 2019-20 में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 6 करोड़ 47 लाख 88 हज़ार 494 थी और इनमें से 2 करोड़ 90 लाख 36,234 लोगों ने आयकर रिटर्न तो दाखिल किया लेकिन कोई टैक्स नहीं दिया.’ यानि साल 2019-20 के दौरान 3 करोड़ 57 लाख 52 हज़ार 260 लोगों ने इनकम टैक्स दिया. वहीं साल 2024-25 वित्तीय वर्ष के दौरान आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या तो 8 करोड़ के पास पहुंच गई. सदन में दिए गए आंकड़े के मुताबिक मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 8 करोड़ 39 लाख 73 हज़ार 416 लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया लेकिन इसमें आयकर देने वालों की संख्या पहले के मुकाबले कम हो गई.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इनकम टैक्स देने वालों की संख्या हुई कम</strong><br />वित्त मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 5 करोड़ 57 लाख 95 हज़ार 391 लोगों ऐसे थे, जिन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न तो दाखिल किया लेकिन कोई टैक्स नहीं दिया. यानी वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 2 करोड़ 81 लाख 78 हज़ार 25 लोगों ने टैक्स दिया. एक तरफ देश में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या साल दर साल जरूर बढ़ रही है लेकिन असल मायने में इनकम टैक्स देने वालों की संख्या पिछले 5 साल के दौरान कम ही हुई है. इसकी एक बड़ी वजह केंद्र सरकार द्वारा लगातार टैक्स स्लैब में किये गये बदलाव को माना जा सकता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">उदाहरण के तौर पर मौजूदा बजट में निर्मला सीतारमण ने जो 12 लाख रुपए की टैक्स छूट लिमिट की घोषणा की है. उससे देश भर में 1 करोड़ टैक्स भरने वालों की संख्या कम हो जाएगी. यानि अगले वित्त वर्ष के दौरान देश में टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या भले ही बढ़ जाए लेकिन असल मायने में टैक्स देने वालों की संख्या पहले के मुकाबले कम हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे बढ़ रही सरकार की कमाई</strong><br />इसका मतलब यह भी है कि देश की 140 करोड़ से ज्यादा की आबादी में से करीब 2 फीसदी लोग ही सही मायने में सरकार को टैक्स देते हैं हालांकि टैक्स एक्सपर्ट गोपाल केडिया के मुताबिक, ‘सरकार ने भले ही टैक्स स्लैब का स्ट्रक्चर चेंज किया हो और टैक्स देने वालों की संख्या कम हुई हो लेकिन फिर भी सरकार का टैक्स रिवेन्यू पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है.’ गोपाल केडिया के मुताबिक, ‘मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही सरकार को आयकर दाताओं से अब तक 20 लाख करोड़ से ज्यादा पैसा मिल चुका है और 31 मार्च तक 2 से 3 लाख करोड़ और मिल सकता है. यानि एक तरफ सरकार आयकर भरने वालों को राहत दे रही है जिसकी वजह से टैक्स दाताओं की संख्या कम हो रही है तो दूसरी तरफ सरकार की कमाई भी लगातार बढ़ रही है.'</p>
<p style="text-align: justify;">मौजूदा बजट के अनुमान के मुताबिक भी अगले वित्तीय वर्ष तक सरकार को आयकर से होने वाली कमाई 24 लाख करोड़ के पार तक पहुंच सकती है. सरकार का मकसद साफ है जिसके पास पैसा है उससे ज़्यादा टैक्स लिया जाए जबकि मध्यम वर्ग से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करवाया जाए. वहीं, निचले तबके को रिटर्न और टैक्स भरने से राहत दी जाए.</p>



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